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मुख्यमंत्री को कताई मिल श्रमिकों ने भेजा पत्रक
डिजिटल डेस्क, (बलिया) उत्तर प्रदेश का कताई मिल मजदूर संघ के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश वर्मा के नेतृत्व में श्रमिकों का एक प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट श्रीमती सीमा पांडे से मिलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित पत्रक सौंपा।
पत्रक के माध्यम से श्रमिकों ने प्रदेश की बाँदा, मेजा, बलिया आदि बंद कताई मिलों को चालू कराने एवं श्रमिकों के विधिक भुगतान सहित उद्योग धंधों को पूर्ण क्षमता के साथ चलाने तथा पूर्वांचल के बलिया जैसे पिछड़े क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने एवं बिना बीआईएफआर एवं एनसीएलटी के अनुमति के बगैर उत्तर प्रदेश कताई मिल रसड़ा की जमीन को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को स्थानांतरित किए जाने की जांच किए जाने की मांग की।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री वर्मा ने बताया कि पूर्वांचल के बलिया जैसे पिछड़े क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 1983-84 में किसानों से सस्ते दर पर 50 एकड़ जमीन लेकर उत्तर प्रदेश कताई मिल रसड़ा की स्थापना की गई थी। जिसे पूर्ववर्ती सरकार की उदासीनता एवं मिल प्रबंधन के गलत नीतियों के कारण वर्ष 1998-99 में अवैधानिक रूप से बंद कर दिया गया। जिससे इस में काम करने वाले हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए, उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई, बेरोजगारी के कारण श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य और रहन-सहन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। यहां तक कि सैकड़ों श्रमिकों ने बीमारी के कारण इलाज के अभाव में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उन्होंने बताया कि मिल बंद होने के कारण बेरोजगारी दर बढ़ी और लोगों को रोजगार उपलब्ध न होने के कारण क्षेत्र के हजारों नौजवान दूसरे जगहों पर पलायन करने को मजबूर हैं। इस कंपनी की तालाबंदी भी अवैधानिक है, ऐसे में संगठन इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग करती है। हालांकि इस संबंध में श्रमिकों द्वारा आपको कई बार पत्राचार किया गया लेकिन आपके तरफ से कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई।
अध्यक्ष ने बताया कि उत्तर प्रदेश कताई मिल रसड़ा एक बीमार औद्योगिक इकाई है, जिसका मुकदमा माननीय बीआईएफआर नई दिल्ली में 620/1992 दायर है। जब कोई बीमार उद्योग हो उसका पूर्ण समाधान ना हो जाए तब तक उस इकाई को किसी अन्य के हाथ स्थानांतरित करना या उसमें किसी प्रकार का निर्माण करना अवैधानिक है। ऐसी स्थिति में कताई मिल के जमीन को उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन अथवा अन्य को स्थानांतरित करना या बेचना सरासर गलत है।
श्रमिकों को यह भी ज्ञात हुआ है कि पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रदेश की बंद उद्योगों को कौड़ियों के भाव अपने चहेतों को बेचे जाने की आप द्वारा सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया गया है। हम श्रमिक मांग करते हैं कि इन कंपनियों की अवैधानिक बंदी की सीबीआई जांच कराई जाए और दोषी को उचित दंड दिया जाए और बंद कारखानों को पूर्ण क्षमता से चलाया जाए। प्रतिनिधिमंडल में राधामोहन सिंह, जवाहर प्रसाद, विजेंद्र प्रसाद, अभिमन्यु, जनार्दन सिंह, लालू तिवारी आदि रहे।
Created On :   2 Sept 2022 5:10 PM IST