हिम्मत नहीं हारे, फर्श पर पहुंचने के बाद अर्श पर पहुंचने का किया साहस

Did not lose courage, after floor, dared to reach Up in life
हिम्मत नहीं हारे, फर्श पर पहुंचने के बाद अर्श पर पहुंचने का किया साहस
जज्बा हिम्मत नहीं हारे, फर्श पर पहुंचने के बाद अर्श पर पहुंचने का किया साहस

डिजिटल डेस्क, रिसोड़। स्थानीय साप्ताहिक बाज़ार में पीढ़ी-दर-पीढ़ी से बांस, टोकरे, झाडुओं के साथही बांस से विविध वस्तुएं तैयार कर बिक्री का व्यवसाय करनेवाले पेंढारकर परिवार की उच्च शिक्षित महिला सविता विलास पेंढारकर अपने पति के व्यवसाय में सहयोग कर जीवन गुजार रही है। सविता की यह ज़िद अन्य महिलाओं के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी सविता ने इस व्यवसाय को प्राथमिकता देना उचित समझा। विशेष रुप से उनके पति विलास पेंढारकर भी बीए तक शिक्षित है। लेकिन दोनों की ही मनस्थिति अपने पीढ़ीगत व्यवसाय में होने से उन्होंने इसी में समाधान माना। सविता पेंढारकर को एक पुत्र और एक पुत्री है। पुत्र 8वीं तथा पुत्री 5वीं कक्षा में अध्ययनरत है।

सविता पेंढारकर का मायका चंद्रपुर जिले के बल्लारशा में है। उन्होंने बीए तक उच्च शिक्षा हासिल की। वर्ष 2006 में विवाह होने के बाद से वे अपने पति के व्यवसाय में सहयोग कर अपना जीवन सुखपूर्वक चला रही है। सुबह 5 बजे उठकर भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना, उन्हें पढ़ाई करवाना, उनकी सभी तैयारी करना आदि करने के बाद सुबह 8 बजे दुकान लगाकर रात 8 बजे तक दुकान चलाना। इतना ही नहीं तो दुकान लगाने के लिए सभी वस्तुएं बाहर रखना और रात में दुकान बंद करने के लिए यह सभी वस्तुएं पुन: घर में रखना सविता बाई की दिनचर्या है। 

कभी न भूलनेवाली वह सुबह!

पेंढारकर परिवार साप्ताहिक बाज़ार में मराठी शाला के पास रहता है। उनके परिवार के सभी सदस्यों का यही व्यवसाय है। 13 मार्च 2013 की सुबह 5 बजे के दौरान उनके घर में आग लग गई। इस आग में उसके शरीर के कपड़े छोड़कर सब कुछ जलकर खाक हो गया। इसमें उनके व्यवसाय के साधन समेत घर के बर्तन, मूल्यवान वस्तुएं, आभूषण, कपड़े आदि का समावेश रहा। आग में उनके परिवार का कुल एक करोड़ रुपए के लगभग नुकसान हुआ था। उस समय उनकी अवस्था देखकर उनके आसपास के व्यावसायिक मित्र और परिचितों ने उनकी भरपूर मदद की, जो उनके लिए बेहद पोषक साबित हुई और इसी से वे पुन: खड़े रह पाए, ऐसी जानकारी सविता पेंढारकर ने दी। वह सुबह आज भी स्मरण में है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। साथही मदद करनेवालांे का उपकार भी जीवनभर फेड़ा नहीं जा सकता, ऐसा भी सविता के पति विलास पेंढारकर ने कहा।

Created On :   10 March 2022 5:45 PM IST

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