Buldana News: इस बार रंग दिखाएगा आघाड़ी के वोटों का बंटवारा, सदानंद माली की बजाय वाघोदे को टिकट

इस बार रंग दिखाएगा आघाड़ी के वोटों का बंटवारा, सदानंद माली की बजाय वाघोदे को टिकट
  • वाघोदे को टिकट देना पड़ सकता है महंगा
  • विधानसभा क्षेत्र से 8 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया
  • त्रिकोणीय दिख रही लड़ाई अब दोतरफा होती जा रही है

Buldana News : दीपक इंगले | नामांकन पत्र वापस लेने के आखिरी दिन बुलढाणा विधानसभा क्षेत्र से 8 उम्मीदवारों ने अपना पर्चा वापस ले लिया, जिससे मैदान में केवल 13 उम्मीदवार शेष हैं। दूसरी ओर, भाजपा नेता और पूर्व विधायक विजयराज शिंदे ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली, जिससे त्रिकोणीय दिख रही लड़ाई अब दोतरफा होती जा रही है। अब बुलढाणा विधानसभा क्षेत्र में महायुति और महाविकास आघाड़ी के बीच सीधा मुकाबला होगा। हर चुनाव में वोट बांटने के लिए हर बड़ी राजनीतिक पार्टी किसी निर्दलीय या छोटे दल के उम्मीदवार को मैदान में उतारकर उसका समर्थन करती है। हालांकि, तस्वीर ऐसी नहीं दिख रही है और चूंकि वोट विभाजन के लिए जो उम्मीदवार मैदान में हैं, वे बहुत मजबूत नहीं हैं, इसलिए इस बार मविआ की उम्मीदवार जयश्री शेलके का मुकाबला महायुति के संजय गायकवाड़ से होगा। बुलढाणा निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 21 लोगों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। लेकिन आखिरी दिन आठ लोगों ने अपना नामांकन वापस ले लेने से अब चुनाव मैदान में 13 उम्मीदवार अपना नसीब आजमा रहे हैं। हालांकि हमेशा की तरह वंचित बहुजन आघाड़ी का तीसरा उम्मीदवार मैदान में है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि वह अधिक असर नहीं डाल पाएगा। वंचित बहुजन आघाड़ी के प्रशांत वाघोदे मैदान में हैं। दिलचस्प है कि शुरुआत में सदानंद माली को वंचित का टिकट घोषित किया गया था, लेकिन रातों-रात कुछ ऐसा हुआ कि माली की उम्मीदवारी रद्द कर प्रशांत वाघोदे की उम्मीदवारी घोषित कर दी गई।

विधानसभा क्षेत्र को नीचे घाट और ऊपर के घाट में विभाजित किया गया है। ऐसा हमेशा होता है कि जिस प्रत्याशी को घाट के नीचे से बढ़त मिल जाती है, वही जीतता है। इसलिए कहा जा रहा है कि वाघोदे की उम्मीदवारी महाविकास आघाड़ी के वोटों को बांटने के लिए दी गई होगी। लेकिन हाल ही में वंचित बहुजन आघाड़ी के घटते वोटों के प्रतिशत को देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि वंचित फैक्टर इस बार अधिक कारगर नहीं करेगा। युवा नेता सतीश पवार ने वंचित का साथ छोड़कर भीम आर्मी का झंडा थाम लिया है। बहुत ही कम समय में पवार ने भीम आर्मी को गांव-गांव तक पहुंचाने की कोशिश की, अब वे विधान सभा के मैदान में भी उतर गये हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि ये दोनों उम्मीदवार महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार के वोटों का बंटवारा करेंगे, लेकिन महाविकास आघाड़ी ने जयश्री शेलके जैसे फुले, शाहू, आंबेडकर के विचारों के चेहरे को सामने ला दिया है, जिससे विपक्ष की स्थिति अच्छी हो गई है। वोट बांटने के लिए मैदान में उतारे गए इन उम्मीदवारों का महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

Created On :   7 Nov 2024 3:37 PM GMT

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