आम आदमी को नहीं मिली कोई राहत, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट में नहीं हुआ कोई बदलाव
- आरबीआई मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे जारी
- नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं। जिसके अनुसार, रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। बुधवार (08 दिसंबर 2021) सुबह आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की है। दास ने कहा है कि नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार रहेगा।
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव ना होने का सीधा मतलब यह कि आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गई है। बता दें कि पिछले साल (साल 2020), के मार्च में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.75 फीसदी और मई में 0.40 फीसदी की कटौती की थी। इसके बाद से 9 बार की बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
Monetary Policy Committee (MPC) voted unanimously to keep the policy repo rate at 4% the stance remains accommodative. MSF rate and bank rate remain unchanged at 4.25%. Reverse repo rate also remains unchanged at 3.35%: RBI Governor Shaktikanta Das following MPC meeting pic.twitter.com/6QzXO1DHBg
— ANI (@ANI) December 8, 2021
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक बाजारों में कोविड-19 महामारी के चलते बहुत सी चुनौतियां आई हैं और भारत के सामने भी बहुत से चैलेंज रहे हैं जिनका सामना करने में आरबीआई ने अहम भूमिका निभाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि देश में अभी भी निजी निवेश में तेजी लाने की जरूरत है। देश के कुछ हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते भी राज्यों से आने वाले राजस्व पर असर पड़ा है।
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दास के अनुसार, एमपीसी के 6 सदस्यों में से 5 ने एकोमोडेटिव रुख बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया। साथ ही मार्जिनल स्टेंडिंग फैसिलिटी को भी 4.25 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.5 फीसदी बनाए रखा गया है।
वहीं वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के लिए इसे घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 6.8 फीसदी थी। साथ हि चौथी तिमाही के लिए इसे 6.1 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
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क्या हैं रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट
आरबीआई जिस रेट पर कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर जिस रेट पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है। बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है। इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है।
Created On :   8 Dec 2021 11:52 AM IST