शेयर बाजार पर बना रहेगा कोरोना का कहर, घरेलू कारकों का भी रहेगा असर
- कोरोना के कारण वैश्विक बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई
- साल 2008 के वित्तीय संकट के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय शेयर बाजार में बीते सप्ताह आई भारी गिरावट के बाद भले ही थोड़ी रिकवरी देखने को मिले, लेकिन कोरोना का कहर बरकरार रह सकता है। इसके अलावा, प्रमुख आर्थिक आंकड़ों और देश के ताजा घटनाक्रमों का भी घरेलू शेयर बाजार पर असर देखने को मिलेगा।
जानकारों की माने तो विदेशी संकेतों से घरेलू बाजार को दिशा मिलेगी। चीन के बाद दक्षिण कोरिया व अन्य देशों में कोरोना वायरस के कहर बरपाने के कारण वैश्विक बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई जोकि 2008 के वित्तीय संकट के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है जिसके प्रभाव में भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का भारी दबाव रहा और प्रमुख संवेदी सूचकांकों में करीब सात फीसदी की साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई।
वहीं, पिछले सप्ताह के आखिर में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी किए गए जिसके अनुसार, चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जोकि बीते छह साल में सबसे निचला स्तर है।
इस सप्ताह कुछ प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ ऑटो कंपनियों की बिक्री के आंकड़े भी जारी होंगे जिस पर बाजार की नजर होगी। साथ ही, देश की राजधानी दिल्ली में बीते सप्ताह हुई हिंसा की घटनाओं को लेकर संसद का सत्र हंगामेदार रह सकता है।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण जो सोमवार से आरंभ हो रहा है, तीन अप्रैल 2020 तक चलेगा।
उधर, एसबीआई कार्डस एंड पेमेंट सर्विसेज का आईपीओ सोमवार को खुलने जा रहा है और आईपीओ की बिक्री पांच मार्च को बंद होगी।
सप्ताह के आरंभ में सोमवार को देश के मार्किट मैन्युफैक्च रिंग पीएमआई के फरवरी महीने के आंकड़े जारी होंगे जबकि मार्केट सर्विसेज पीएमआई के फरवरी महीने के आंकड़े बुधवार को जारी होने हो सकते हैं।
उधर, चीन में फरवरी महीने के कैक्सिन मैन्युफैक्च रिंग पीएमआई के आंकड़े सोमवार को जारी होंगे और इसी दिन अमेरिका और यूरोप में भी मार्केट मैन्यूफैक्च रिंग पीएमआई के फरवरी महीने के आंकड़े जारी होंगे।
इन आंकड़ों से भी बाजार को दिशा मिलेगी, लेकिन जानकार बताते हैं कि कोरोना वायरस के प्रकोप का असर फिलहाल बना रहेगा। बता दें कि चीन के बाद दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस ने कहर बरपाया है जबकि दुनिया के करीब 56 देशों में इससे पीड़ित मरीज पाए गए हैं।
Created On :   1 March 2020 9:30 AM IST