नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल को झटका, आरएसपी ने प्रचंड सरकार से वापस लिया समर्थन

  • प्रचंड सरकार को झटका
  • आरएसपी नेपाल में चौथे नंबर की पार्टी

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-06 11:47 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है। मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने और सियासी जमीन का और अधिक विस्तार करने के लिए रवि लमिछाने की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) ने पुष्प कमल दहल सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। आरएसपी नेपाल में चौथे नंबर की पार्टी है। उसके निचले सदन में 22 सांसद है। प्रचंड सरकार से नाता तोड़ते हुए रवि लमिछाने ने एलान किया- ‘हमें जनता की अपेक्षाओं और जनादेश का सम्मान करना चाहिए। उप चुनाव में हमें मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने और अपनी पार्टी के संगठन को मजबूत करने का जनादेश मिला है।’ उन्होंने कहा कि आरएसपी जनता को रचनात्मक विपक्ष की भूमिका दिखाएंगी। लमिछाने के समर्थन वापस लेने से हालफिलहाल प्रचंड सरकार पर कोई प्रभाव पड़ते हुए दिखाई नहीं दे रहा है, लेकिन आने वाले समय में नेपाल की सियासत में संकट के बादल मंडराते हुए दिखाई देंगे।

 आपको बता दें कुछ महीने पहले ही कमल दहल ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) से नाता तोड़ा था।  तब यूएमएल के नेतृत्व वाले गठबंधन में आरएसपी भी थी। बाद में कमल दहल ने यूएमएल से नाता तोड़कर नेपाल कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाई थी। इस नए गठबंधन में भी दहल ने आरएसपी को मिला लिया था। पिछले महीने ही तीन संसदीय क्षेत्रों में उप चुनाव हुए थे। उनमें से दो में आरएसपी के उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से सत्ताधारी गठबंधन के उम्मीदवारों को मात दी थी। उसके बाद प्रधानमंत्री दहल ने रवि लमिछाने को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात कहकर उसे अपने गठबंधन में बुला लिया था। लेकिन रवि ने  नई सरकार से अपना समर्थन तब वापस ले लिया जब मंत्रिमंडल विस्तार में उसका नाम नहीं था।  बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार की सूची में तीन नए मंत्री नेपाली कांग्रेस के रहें।

आरएसपी के समर्थन वापस लेने के प्रचंड की मुसीबत बढ़ती हुए दिखाई दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संविधान के मुताबिक प्रधानमंत्री के लिए दोबारा विश्वास-मत हासिल करना तब जरूरी होता है,जब मंत्रिमंडल में शामिल कोई दल सरकार से समर्थन वापस ले। हालांकि कुछ जानकारों का मानना है कि आरएसपी के समर्थन वापस लेने से प्रचंड सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

 







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