मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023: जानिए मुरैना की विधानसभा सीटों पर किसका चलता है जादू?
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले है। राजनैतिक दलों ने अपनी अपनी फौज उतार कर रखी है। भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी में कई सीटों पर कांटे की टक्कर होने वाली है। बीएसपी उत्तरप्रदेश से सटे इलाकों में मजबूत स्थिति में नजर आती है। और बीजेपी और कांग्रेस का गणित खराब करती है। आज जिले की राजनीति में हम मुरैना जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों के सियासी इतिहास के बारे में बताएंगे।
मुरैना जिले में मुरैना, दिमनी, अंबाह, सुमावली, जौरा और सबलगढ़ विधानसभा सीट आती है। सीटों पर अलग अलग जाती का फैक्टर प्रभाव डालता है। जिले की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीतने के लिए बीजेपी कांग्रेस और बीएसपी काफी मशक्कत कर रही है। मुरैना की अधिकतर सीटों पर मिली जुली स्थिति रहती है। आपको बता दें बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और बीएसपी के प्रदेशाध्यक्ष इंजी रमाकांत पिप्पल दोनों ही दलों के ये नेता मुरैना से नाता रखते है। दोनों ही नेताआों का गृह निवास मुरैना ही है। बीजेपी के दिग्गज नेता केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस इलाके की सीटों पर काफी दबदबा है। वहीं बीएसपी ने भी अपने युवा नेता आकाश आनंद को चार राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी है। जिनमें मध्यप्रदेश भी शामिल है। आकाश आनंद की बसपा मुरैना से पांच जुलाई को लॉन्चिंग कर रही है। यहां आकाश आनंद की एक बड़ी जनसभा बसपा करने जा रही है। वहीं कांग्रेस ने भी चुनावी तैयारी तेज कर दी है।
1.मुरैना में त्रिकोणीय मुकाबला
मुरैना विधानसभा सीट जिला मुख्यालय में होने के कारण जिले की सबसे प्रमुख सीट मानी जाती है। सीट को जीतने की हर दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। मुरैना विधानसभा सीट पर 1957 से शुरू हुए चुनावों से लेकर अब तक पांच बार बीजेपी और 4 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, जबकि दो बार भारतीय जनसंघ पार्टी व एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। मुरैना विधानसभा सीट गुर्जर बाहुल्य सीट है। सीट पर गुर्जर, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के वोटर्स हार जीत तय करते है। मुरैना सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने के आसार है। मुरैना सीट की सबसे खास बात ये रही है कि इस सीट पर लगातार कोई भी प्रत्याशी दो बार नहीं जीता है।
निम्न प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।
1957 में कांग्रेस के यशवंत सिंह
1962 और 1977 में जनता पार्टी से जबर सिंह
1967 में भारतीय जनसंघ से जे सिंह
1972 में भारतीय जनसंघ से महाराज सिंह
1980 में कांग्रेस के टिकट पर फिर महाराज सिंह
1985 में बीजेपी के जहर सिंह
1990 और 1998 में बीजेपी के सेवाराम गुप्ता
1993 में कांग्रेस के सोवरन सिंह
2003 और 2013 के चुनाव में बीजेपी के रुस्तम सिंह
2008 में बसपा के परशुराम मुदगल
2018 में कांग्रेस से रघुराज सिंह कंसाना
2020 उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राकेश मावई
सुमावली हॉट सीट और समीकरण
मुरैना की सबसे बड़ी हॉट सीट सुमावली को माना जाता है। सुमावली सीट पर सबसे अधिक चौकाने वाले नतीजे सामने आते रहे है। सुमावली सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने तीन तीन बार वहीं बीएसपी ने दो बार जीत का मजा चका है। सुमावली सीट पर पहली बार 1977 में चुनाव हुआ था, जनता दल और जनता पार्टी ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की है। सुमावली में क्षत्रिय, गुर्जर और कुशवाह समाज के वोटर्स चुनाव में अहम रोल निभाते है।
सुमावली का चुनावी सफर
1977 में जनता पार्टी से जहर सिंह
1980 में भाजपा के योगेंद्र सिंह
1985 में पहली बार कांग्रेस को सफलता मिली। कांग्रेस के कीरत सिंह कंषाना
1990 में जनता दल से गजराज सिंह सिकरवार
1993 और 1998 में बसपा से एंदल सिंह कंसाना
2003 में बीजेपी के गजराज सिंह सिकरवार
2008 में कांग्रेस से एंदल सिंह कंसाना
2013 में बीजेपी के सत्यपाल सिंह सिकरवार
2018 में कांग्रेस से एंदल सिंह कंसाना
2020 उपचुनाव में कांग्रेस के अजब सिंह कुशवाह
दिमनी में तोमर
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है।1962 चुनाव से लेकर 2018 के चुनाव तक बीजेपी ने दिमनी सीट पर सर्वाधिक 6 बार जीत दर्ज की है। जबकि कांग्रेस को 1993 और 2018 में दो बार, वहीं 2 बार निर्दलीय एवं 1-1 बार भारतीय जनसंघ और बहुजन समाज पार्टी को विजय मिली है। दिमनी विधानसभा सीट पर क्षत्रिय, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वोटर्स बाहुल्य वाली सीट है। इस सीट क्षत्रिय वोटर्स सबसे अधिक है,जो जीत हार का फैसला करते है। यहा निर्णायक की भूमिका में एससी वोटर्स रहता है, जो जिस पार्टी को मिल गया उसकी नैया पार लग जाती है।
दिमनी का चुनावी इतिहास
1962 में निर्दलीय सुमेर सिंह
1967 में एसएस अमरिया
1972 में भारतीय जनसंघ से छविराम
1977 में जनता पार्टी के मुंशीलाल, मुंशीलाल ने साल 1980, 1985,1990 और 1998 के चुनावो में बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की।
1993 में कांग्रेस के रमेश कोरी
2003 में बीजेपी की संध्या राय
2008 में बीजेपी के शिव मंगल सिंह तोमर
2013 में बीएसपी के बलबीर दंडोतिया
2018 में कांग्रेस से गिर्राज दंडोतिया
उपचुनाव 2020 में कांग्रेस से रविंद्र सिंह तोमर
4. अम्बाह में अनुसूचित जाति
अम्बाह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित है। इस सीट पर 1957 में हुए पहले चुनाव से लेकर साल 2018 के चुनावों तक कांग्रेस ने सर्वाधिक 5 बार जीत दर्ज की है। वही भाजपा को 4 बार जीत मिली है। जबकि 1 बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, 1 बार जनता पार्टी, 1 बार जनता दल, 1 बार बसपा और 1 बार निर्दलीय उम्मीदवार की विजय हुई है। इस सीट पर अनुसूचित जाति और क्षत्रिय मतदाता अहम भूमिका निभाते है। यहां सबसे ज्यादा 80.97 फीसदी मतदान 2018 में हुआ था। इस सीट पर बीएसपी त्रिकोणीय मुकाबला बनाती है।
अम्बाह चुनावी इतिहास
1957 में कांग्रेस के रामनिवास छीतरलाल
1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के जगदीश सिंह
1967 में निर्दलीय उम्मीदवार रतीराम
1972 में कांग्रेस के राजा राम सिंह
1977 में जनता पार्टी के चोखेलाल
1980 में कांग्रेस के कमोदीलाल
1985 में कांग्रेस के राम नारायण शंखवार
1990 में जनता दल के किशोर
1993, 1998 और 2003 के चुनावों बीजेपी के बंशीलाल जाटव ने जीत की हैट्रिक लगाई।
2008 में बीजेपी के कमलेश सुमन जाटव
2013 में बहुजन समाज पार्टी के सत्यप्रकाश सखवार
2018 में कांग्रेस के कमलेश जाटव
उपचुनाव 2020 बीजेपी से कमलेश जाटव
5. जौरा का जातीय समीकरण
जौरा विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। जौरा में 1957 से लेकर साल 2018 तक चुनाव हुए है। जिनमें कांग्रेस ने सर्वाधिक 5 बार, बीएसपी ने 3 और बीजेपी ने 1 बार जीत दर्ज की है। जबकि 2 बार निर्दलीय, एक-एक बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल की जीत हुई है। जौरा सीट पर ब्राह्मण,क्षत्रिय और धाकडों के वोट किसी भी प्रत्याशी की हार जीत में अहम भूमिका निभाते है। यहां जातियों का त्रिकोणीय वोटर है।
जौरा चुनावी इतिहास
1957 के पहले चुनाव में निर्दलीय चेतलाल ख़ासीप्रसाद
1962 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के पंचम सिंह
1967 में निर्दलीय रामचरण लाल मिश्रा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1972 और 1980 के चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर रामचरण लाल मिश्रा ने दो बार जीत हासिल की।
1977 में जनता पार्टी के सूबेदार सिंह
1985 में कांग्रेस के महेश दत्त मिश्रा
1990 में जनता दल के सुबेदार सिंह
1993 और 1998 में बीएसपी के सोनेराम कुशवाह
2003 में कांग्रेस के उम्मेद सिंह बाना
2008 में बसपा के मनिराम धाकड़
2013 में पहली बार बीजेपी उम्मीदवार सुबेदार सिंह ने जीत दर्ज की
2018 में कांग्रेस के बनवारीलाल शर्मा ने जीत दर्ज की थी। उनके निधन से ये सीट खाली हुई , बाद में इस सीट पर 2020 में उपचुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के सूबेदार सिंह रजौधा ने जीत दर्ज की थी।
6. सबलगढ़ किसका गढ़?
सबलगढ़ विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में आती है। 2018 में कांग्रेस से बैजनाथ कुशवाह ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को 9 हजार वोटों के अंतर से हराया था। सबलगढ़ सीट पर कई चुनावी मौकों पर बीएसपी दूसरे नंबर पर रही है। इसे देखते हुए बीएसपी अपने नए युवा नेता आकाश आनंद की महारैली सबलगढ़ में करने जा रही है। बीएसपी ने रैली का जिम्मा मध्यप्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद इंजी रामजी गौतम को दिया है। रामजी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में बीएसपी की रथ यात्रा हर जिले में निकाली जा रही है।
सबलगढ़ का चुनावी इतिहास
1977 में जेएनपी के श्रीधरलाल हर्देनिया
1980 में कांग्रेस के सुरेश चंद्र
1985 में कांग्रेस के भगवती प्रसाद बंसल
1990 बीजेपी के मेहरवान सिंह रावत
1993 में कांग्रेस के सुरेश चौधरी
1998 में बीएसपी के बूंदीलाल रावत
2003 में बीजेपी के मेहरबान सिंह रावत
2008 में कांग्रेस के सुरेश चौधरी
2013 में बीजेपी के मेहरबान सिंह रावत
2018 में कांग्रेस के बैजनाथ सिंह