कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बढ़ा वोटिंग परसेंट तय करेगा सियासी कुर्सी की दिशा
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 224 विधानसभा सीटों पर 10 मई की शाम को मतदान खत्म हो गया। वोटिंग समाप्त होते ही राज्य में सत्ता की बागड़ोर किसके हाथों में होगी इसकी चर्चा तेज होने लगी। तमाम एग्जिट पोल आने लगे। किसी पोल में कांग्रेस तो किसी में बीजेपी की सरकार बनने का दावा पेश किया जाने लगा। वहीं किसी पोल के सर्वे में गठबंधन में सरकार बनने की बात कही जाने लगी तो किसी में जेडीएस को किंगमेकर की भूमिका में प्रस्तुत किया जाने लगा। लेकिन किसकी सरकार बनेगी ये तो 13 मई को आने वाले नतीजे ही तय करेगे। हालफिलहाल हम आपको चुनावी मतदान किस तरफ सियासी कुर्सी की दिशा के संकेत दे रहा है?, इसके बारे में बताएंगे।
चुनाव में एक आम धारणा है कि ज्यादा मतदान होने का अर्थ सत्ता विरोधी लहर और कम वोटिंग के होने का मतलब राज्य में सत्ता समर्थक लहर नहीं है। इस लिहाज से इस बार वोटिंग फीसदी में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसके सियासी मायने साफ तौर पर समझे जा सकते हैं। कर्नाटक की सियासी कुर्सी का फैसला 13 मई को आने वाले नतीजों के साथ होगा, जिसका सभी को इंतजार है। लेकिन इस बार कर्नाटक में बंपर वोटिंग हुई है। इलेक्शन कमीशन के आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में इस बार 72.67 फीसदी मतदान हुआ है।इसमें पोस्टल बैलेट और होम वोटिंग का आंकड़ा शामिल नहीं है। इस बार का वोटिंग परसेंट पिछले चुनाव के मुकाबला थोड़ा अधिक है। हुई है। कर्नाटक के चुनावी इतिहास में ये अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग परसेंट है, 2018 के चुनाव में 72.44 फीसदी और 2013 में 71.83 फीसदी वोट पड़े थे। लेकिन आपको बता दें जब जब वोटिंग परसेंट में बढ़ोतरी हुई है, तब तब सत्ता परिवर्तन हुआ है। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 90.93 फीसदी वोटिंग मंड्या जिले की मेलुकोटे विधानसभा सीट पर हुई तो सबसे कम मतदान 47.43 फीसदी बेंगलुरु की सीवी रमन नगर सीट पर हुई।
कर्नाटक में अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं> आठ चुनावों में वोट फीसदी में इजाफा हुआ, जिसमें सिर्फ एक बार 1962 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। वहीं, पांच चुनावों में वोट प्रतिशत कम रहा जिसमें बीजेपी एक बार सत्ता में लौटी है।
पिछले पांच विधानसभा चुनाव और वोटिंग परसेंट
2018 के चुनाव में 72.44 %
2013 में 71.83 %
2008 में 65.17%
2004 में 65.17%
1999 में 67.65 %
वोट परसेंट का पैटर्न साफ तौर पर दो संकेत देता है, पहला मतदाता सरकार बदलने के लिए अति उत्साहित है, और दूसरा चुनाव नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। एग्जिट पोल के सर्वे से भी इसी तरह से संकेत मिलते नजर आ रहे हैं। मीडिया के ज्यादातर एग्जिट पोल में नतीजे सत्ता परिवर्तन की तरफ इशारा कर रहे है।