वॉटर स्कैम मामला: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले 20 हजार करोड़ वॉटर स्कैम का मामला पकड़ा तूल, ED के निशाने पर प्रदेश के उच्च अधिकारी, जानिए पूरा मामला

  • राजस्थान में 25 नवंबर को चुनाव
  • 3 दिसंबर को आएंगे चुनाव के नतीजे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-20 06:46 GMT

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को होने जा रहा है। इससे पहले प्रदेश में 20 हजार करोड़ रुपये के वॉटर स्कैम का मामला तूल पकड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। राजस्थान के आईएएस ऑफिसर से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों पर जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस महीने के 3 तीन तारीख को जयपुर और दौसा में ईडी ने 23 जगह पर छापेमारी की, जिसमें आईएएस रैंक के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सुबोध अग्रवाल के ठिकाने भी शामिल रहे। सुबोध अग्रवाल पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट और वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एसीएस हैं।

दरअसल, यह पूरा मामला केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन परियोजना से जुड़ा है। आरोप हैं कि, राजस्थान में इसे लागू करने के दौरान गड़बड़ियां की गई हैं और कई हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। अगस्त में एंटी करप्शन ब्यूरो यानी ACB ने इस मामले में जांच शुरू की थी और बाद में यह मामला ईडी के पास चला गया था। जिसमें ईडी ने अब तक 25 जगह छापेमारी कर चुकी है।

20 हजार करोड़ का घोटाल

यह एक केंद्र सरकार का प्रोजेक्ट है। जिसका मेन मकसद ग्रामीण इलाकों में रह रही आबादी तक शुद्ध और पर्याप्त जल सही समय तक पहुंचाने का है ताकि किसी को भी पानी की किल्लत से जुझना न पड़े। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस परियोजना में केंद्र सरकार और राज्य सरकार बराबर की भागीदारी है यानी आधा खर्च केंद्र को तो आधा राजस्थान सरकार उठाएगी। बता दें कि, इस मिशन पर सबसे पहले लोकसभा सांसद किरोड़ी लाल मीडा ने सवाल उठाए थे और परियोजना में घोटाले की बात कही थी। उनका आरोप है कि इस परियोजना में करीब 20 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।

मीणा का क्या है आरोप?

पांच बार के विधायक और दो बार के लोकसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणाल का आरोप है कि, इस प्रोजेक्ट के तहत फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर दो फर्म को 48 प्रोजेक्ट दिए गए और दो साल में 900 करोड़ के ऑर्डर दिए गए। घोटाले का पता न चले इसके लिए ईमेल आईडी और प्रमाण पत्र भी फर्जी बनाए गए ताकि किसी को शक न हो। किरोड़ी लाल मीणा ने यह भी आरोप लगाया है कि घोटाले की वजह से परियोजना को पूरी करने में देरी हुई है। इस पूरे मामले में मोटा-मोटी 20 हजार करोड़ रुपये का खेल हुआ है।

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