दिल्ली की 'आप' सरकार को मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के अध्यादेश को भेजा पांच जजों की बेंच के पास

  • अरविंद केजरीवाल के पक्ष में आया फैसला
  • केंद्र के अध्यादेश पर शीर्ष अदालत में होगी सुनावई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-20 09:26 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही है। जिसका मुख्य कारण राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का मामला है। लंबे समय से चल रहे इस मामले की सुनवाई मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट में हुई थी। जिस पर शीर्ष अदालत ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दे दिया था। लेकिन महज 10 दिनों के अंदर ही केंद्र की सरकार ने एक अध्यादेश लाकर कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। जिसमें कहा गया था कि, दिल्ली देश की राष्ट्रीय राजधानी है और यहां कई देशों के राजदूत रहते हैं सुरक्षा को देखते हुए यह अध्यादेश लाया गया है। केंद्र के अध्यादेश पर केजरीवाल बुरी तरह भड़के हुए हैं और उनका कहना है कि, ये अध्यादेश हमारी चुनी हुई सरकार की ताकतें कम करने के लिए लाया गया है, जो तानाशाही को दर्शाता है। अब इसी मामले को सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों के संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया है जिसकी सुनवाई जल्द ही होगी। दिल्ली सरकार ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर आज यानी 20 जुलाई को यह फैसला अदालत की ओर से लिया गया है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस अध्यादेश पर लंबी सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि यह जानना जरूरी है कि सेवाओं को अध्यादेश के जरिए दिल्ली विधानसभा के दायरे से बाहर कर देना सही है या नहीं। केंद्र की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे वकालत कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा कि संसद में बिल पेश हो जाने के बाद अध्यादेश के मसले पर विचार की जरूरत ही नहीं रहेगी। जिस पर सीजेआई ने कहा कि हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते।

जल्द ही सुनवाई होगी

दिल्ली की 'आप' सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील रखी। उन्होंने संविधान पीठ से जल्द सुनवाई की मांग की। जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आदेश शाम तक अपलोड किया जाएगा। उसमें सुनवाई की तारीख भी बताई जाएगी।

'आप' क्यों कर रही है विरोध?

दिल्ली सरकार केंद्र के अध्यादेश का विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि उसकी शक्ति में कमी आ जाएगी। दिल्ली देश की राजधानी होने के बावजूद वहां की सरकार के पास अन्य राज्यों की तुलना में शक्ति कम है लेकिन अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि जो अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग होते हैं वो उनके ही अधीन रहे ताकि अपनी मर्जी के अनुसार वो सरकारी अफसरों को कहीं भी लगा सके। केंद्र का अध्यादेश आ जाता है तो दिल्ली की आप सरकार से ये अधिकार छीन जाएगा, जो कितने सालों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मई के महीने में दिए थे।

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