भारतीय ऐप उद्योग ने एप्पल और गूगल पर लगाम कसने के लिए दक्षिण कोरिया की पहल को सराहा

विधेयक पारित भारतीय ऐप उद्योग ने एप्पल और गूगल पर लगाम कसने के लिए दक्षिण कोरिया की पहल को सराहा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-01 10:30 GMT
भारतीय ऐप उद्योग ने एप्पल और गूगल पर लगाम कसने के लिए दक्षिण कोरिया की पहल को सराहा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया की संसद ने मंगलवार को एक विधेयक पारित किया, जिससे उम्मीद की जा रही है कि एप्पल और गूगल के अपने ऐप स्टोर में भुगतान प्रणाली से अधिक भुगतान पर लगाम लगेगी। इसे कानून के तौर पर प्रक्रिया में लाने से पहले अब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन के हस्ताक्षर की जरूरत है।

यह विधेयक (बिल) विशेष रूप से इन-ऐप बाजारों और भुगतान प्रणालियों को लक्षित करने वाला दुनिया का पहला बड़ा कानून है, यहां तक कि बाजार के दिग्गज एप्पल और गूगल को अपने मालिकाना भुगतान सिस्टम के इन-ऐप उपयोग को अनिवार्य करने और ऐप स्टोर के माध्यम से ऐप और सब्सक्रिप्शन की बिक्री पर 30 प्रतिशत तक कमीशन चार्ज करने के लिए वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

दुनिया भर के डेवलपर्स ने इन कदमों पर सवाल उठाया है और भुगतान और वितरण के वैकल्पिक तरीकों को चुनने की स्वतंत्रता की मांग की है, जैसे कि आईओएस या एंड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम पर स्थापित तीसरे पक्ष (थर्ड पार्टी) के ऐप स्टोर के माध्यम से। दक्षिण कोरियाई विधायकों ने मंगलवार को ऐप बाजार उद्योग में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के इरादे से अपने दूरसंचार व्यापार अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देने के लिए मतदान किया।

बिल ऐप मार्केट बिजनेस ऑपरेटरों को अपनी प्रमुख स्थिति का लाभ उठाने से रोकता है, ताकि डेवलपर्स को एक विशिष्ट भुगतान प्रणाली का उपयोग करने के लिए मजबूर किया जा सके। यह ऐप स्टोर सेवा प्रदाताओं को ऐप को उनके स्टोर पर पंजीकरण करने से रोकने, ऐप पंजीकरण में अनुचित रूप से देरी करने और ऐप मार्केट से ऐप को गलत तरीके से हटाने जैसी गतिविधियों में शामिल होने से भी रोकता है।

इस कदम से ऐप डेवलपर्स को भारी कमीशन से बचने में मदद मिलेगी और इस तरह डेवलपर्स और अंतिम उपभोक्ताओं दोनों के लिए लागत कम हो जाएगी। इसके अलावा, यह बिल दक्षिण कोरिया के विज्ञान मंत्री/आईसीटी और कोरिया संचार आयोग को ऐप मार्केट के संचालन की जांच करने का अधिकार देता है, ताकि सरकार को उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐप-मार्केट से संबंधित विवादों की अधिक सक्रिय रूप से पहचान करने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा में बाधा डालने वाले कृत्यों को रोकने में मदद मिल सके।

यह कदम तब सामने आया है, जब दुनिया भर के नियामकों ने अपना ध्यान ऐप स्टोर और डेवलपर्स से शुल्क लेने की ओर लगाया है। अमेरिका में, तीन सीनेटरों ने इन-ऐप खरीदारी को विनियमित करके और प्रमुख दिग्गजों को अपने ऑपरेटिंग सिस्टम से तीसरे पक्ष के ऐप स्टोर को बाहर करने के लिए मजबूर करके निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए अगस्त में पहले एक द्विदलीय विधेयक पेश किया था।

वहीं भारत में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) अपनी मालिकाना भुगतान सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति के संभावित दुरुपयोग के लिए गूगल की जांच कर रहा है। एप्पल और गूगल दोनों ने सार्वजनिक रूप से कानून के माध्यम से अपनी व्यावसायिक प्रथाओं को विनियमित करने के प्रयासों का विरोध किया है।

इस बीच, कई उद्योग के दिग्गजों ने दक्षिण कोरिया के घटनाक्रम पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत के सबसे बड़े थर्ड पार्टी ऐप स्टोर इंडस ऐप बाजार के सह-संस्थापक और सीईओ राकेश देशमुख ने इस कदम के लिए अपना समर्थन साझा किया है। उन्होंने इस संबंध में अपने विचार प्रकट करते हुए कहा, नीति को नवाचार (इनोवेशन) का समर्थन करने की आवश्यकता है। हमें उम्मीद है कि गूगल प्ले स्टोर पर इंडस ऐप बाजार जैसे ऐप वितरण प्लेटफॉर्म की लिस्टिंग की अनुमति देना डेवलपर की पसंद को बढ़ाता है।

इससे हमें बी2सी सफर तय करने में मदद मिलेगी। मुझे उम्मीद है कि हमारे जैसे ऐप स्टोर को गूगल प्ले और एंड्रॉएड पर एक निष्पक्ष खेल वातावरण की अनुमति है। इसके अलावा, भारत में हमें नीति के नजरिए से ऐप वितरण और भुगतान गेटवे के लिए डेवलपर की पसंद पर गौर करने की जरूरत है।

आईएएनएस

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