नई श्मशानभूमि के खिलाफ कड़ाके की ठंड में तीन गांवों के ग्रामीण बैठे अनशन पर
भंडारा नई श्मशानभूमि के खिलाफ कड़ाके की ठंड में तीन गांवों के ग्रामीण बैठे अनशन पर
डिजिटल डेस्क, भंडारा। मनुष्य जीवन की यात्रा केवल श्मशान तक ही है। यही कारण है कि श्मशानभूमि यह गांव के बाहर ही दिखाई देती हंै। लेकिन एक गांव के बाहर तैयार की जा रही श्मशानभूमि के खिलाफ कड़ाके की ठंड में तीन गांवों के ग्रामीण बेमियादी अनशन पर बैठे हैं।
यह मामला है तहसील के अर्जुनी/पुनर्वसन, आजिमाबाद तथा सिरसघाट का। यहां एक गांव का अंतिम हिस्सा, यह अन्य तीन गांवों के प्रवेशद्वार का मार्ग हंंै। जिससे क्षेत्र के तीन गांवों के नागरिकों ने यहां बननेवाले श्मशानभूमि के खिलाफ आवाज उठाते हुए इस श्मशानभूमि के निर्माण को तत्काल स्थगिति देने तथा अन्य जगह स्थानांतरण करने की मांग करते हुए अर्जुनी/पुर्नवसन व सिरसघाट गांव की सीमा पर 4 जनवरी से बेमियादी अनशन शुरू किया है। यहां बता दें कि, भंडारा तहसील के अर्जुनी पुनर्वसन में श्मशानभूमि नहीं होने से फिलहाल गांव के बाहर नई श्मशानभूमि तैयार करने का काम शुरू है। यह श्मशानभूमि सड़क को लगकर होकर यहां से नए राष्ट्रीय महामार्ग का काम शुरू है। इसी मार्ग से सालेबर्डी, अजिमाबाद तथा सिरसघाट गांवों का आवागमन रहता है। इन ग्रामीणों को प्रतिदिन मजदूरी तथा विद्यार्थियों को शाला के लिए भंडारा से आवागमन करना पड़ता है। ऐसे में सड़क पर श्मशानभूमि बनने से तीनों गांवों में आवागमन करने वालों को नकारात्मकता आने की संभावना व्यक्त कर ग्रामीणों द्वारा यहां श्मशानभूमि के निर्माण का विरोध किया जा रहा है। किंतु इसका संज्ञान नहीं लेने से आखिरकार तीनों गांवों के नागरिकों ने अनशन शुरू किया।