लोकसभा: चीन के मुद्दे पर बोले राजनाथ सिंह- सीमा पर हमारे जवानों ने संयम और शौर्य का प्रदर्शन किया, हर स्थिति से निपटने को तैयार
लोकसभा: चीन के मुद्दे पर बोले राजनाथ सिंह- सीमा पर हमारे जवानों ने संयम और शौर्य का प्रदर्शन किया, हर स्थिति से निपटने को तैयार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र का आज (15 सितंबर) दूसरा दिन है। लोकसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है। सदन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लद्दाख में सीमा पर चीन से तनाव के मुद्दे पर विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, सीमा पर तैनात हमारे जवानों ने संयम और शौर्य का प्रदर्शन किया है। चीन की हरकत हमें मंजूर नहीं है। हम शांतिपूर्ण तरीके से समस्या का हल निकालने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन देश की सुरक्षा के लिए हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। हमारे जवानों का जोश और हौसला बुलंद है।
#WATCH Defence Minister Rajnath Singh makes a statement on India-China border issue, in Lok Sabha (Source: Lok Sabha TV) https://t.co/1dlRokI1It
— ANI (@ANI) September 15, 2020
लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा, आज मैं इस गरिमामयी सदन में लद्दाख की स्थिति से सदस्यों को अवगत कराने के लिए आया हूं। पीएम मोदी ने बहादुर जवानों से मुलाकात की थी और संदेश दिया था, देशवासी वीर जवानों के साथ खड़े हैं। मैंने भी शूरवीरों के साथ समय बिताया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीनी विदेश मंत्री से कहा कि, अगर समझौतों को माना जाए तो शांति बहाल रखी जा सकती है।
China doesn"t recognise the traditional customary alignment of the boundary. We consider that this alignment is based on well established geographical principals: Defence Minister Rajnath Singh in Lok Sabha https://t.co/bbwC1AqQYj
— ANI (@ANI) September 15, 2020
दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए- राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, भारत-चीन सीमा अभी तक अनसुलझा है और ये एक जटिल समस्या है। दोनों देशों का नजरिया सीमा को लेकर अलग-अलग है। उन्होंने कहा, दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए। रक्षा मंत्री ने बताया, लद्दाख के पूर्वी सीमा पर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश में 90,000 वर्ग किलोमीटर पर भी अपना दावा ठोंक रहा है। इस साल अप्रैल से ही चीन ने सीमा पर गतिविध बढ़ा दी, लेकिन भारत चीन की एकतरफा गतिविधि के खिलाफ है। 1993, 1996 में हुए समझौतों के मुताबिक, दोनों देश सीमा पर कम से कम सैन्य गतिविधि करेंगे।
सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी- रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह ने कहा, चीन मानता है कि ट्रैडिशनल लाइन के बारे में दोनों देशों की अलग-अलग व्याख्या है। दोनों देश 1950-60 के दशक में इस पर बात कर रहे थे लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया। चीन ने लद्दाख में बहुत पहले कुछ जमीन पर कब्जा किया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन को पीओके की भी कुछ भूमि चीन को सौंप दी। यह एक बड़ा मुद्दा है और इसका हल शांतिपूर्ण और बातचीत से निकाला जाना चाहिए। सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है। अभी LAC को लेकर दोनों देशों की अलग व्याख्या है। दोनों देशों के बीच शांति बहाल रखने के लिए समझौते हैं। 1988 के बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में विकास हुआ। भारत का मानना है कि द्विपक्षीय संबंध भी विकसित हो सकते हैं और सीमा विवाद का भी निपटारा किया जा सकता है। हालांकि इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ भी सकता है। समझौते में कहा गया है, जब तक सीमा का पूर्ण समाधान नहीं होता LAC का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
हमारे जवानों ने चीनी सेना को भारी क्षति पहुंचाई- राजनाथ सिंह
1990 से 2003 तक दोनों देशों में मिली जुली सहमति बनाने की कोशिश की गई लेकिन इसके बाद चीन इस दिशा में आगे नहीं बढ़ा। अप्रैल से लद्दाख की सीमा पर चीन के सैनिकों और हथियारों में वृद्धि देखी गई। चीन की सेना ने हमारी पट्रोलिंग में बाधा उत्पन्न की जिसकी वजह से यह स्थिति बनी। हमारे जवानों ने चीनी सेना को भारी क्षति पहुंचाई है और सीमा की भी सुरक्षा की। हमारे जवानोें ने जहां शौर्य की जरूरत थी शौर्य दिखाया और जहां संयम की जरूरत थी वहां समय रखा।
The Chinese side created a violent face-off on June 15th at Galwan. Our brave soldiers laid down their lives and also inflicted costs including casualties on the Chinese side: Defence Minister Rajnath Singh, in Lok Sabha pic.twitter.com/92GjP2lzqo
— ANI (@ANI) September 15, 2020
रक्षा मंत्री ने कहा, दोनों देशों को यथास्थिति बनाए रखना चाहिए। शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए। चीन भी यही कहता है लेकिन 29-30 अगस्त की रात में फिर से चीन ने पैंगोंग में घुसने की कोशिश की लेकिन हमारे सैनिकों ने उनके प्रयास विफल कर दिए।
देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित- राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री ने कहा, मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि देश की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और हमारे जवान मातृभूमि की रक्षा में डटे हुए हैं। सशस्त्र सेना और ITBP की तेजी से तैनाती की गई है। पिछले कई दशकों में चीन ने बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर की गतिविधियां शुरू की है। इसके जवाब में सरकार ने भी बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट का बजट बढ़ा दिया है। बॉर्डर एरिया में अब सैनिक ज्यादा अलर्ट रह सकते हैं और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई कर सकते हैं।
हम इस मुद्दे को शांति से हल करना चाहते हैं- राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा, हमारे सीमावर्ती इलाकों में विवादों का हल शांतिपूर्ण ढंग से करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। मैंने 4 तारीख को चीन के सामने स्थिति को रखा। यह भी कहा कि, हम इस मुद्दे को शांति से हल करना चाहते हैं। हमने यह भी स्पष्ट किया कि हम भारत की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
केंद्र सरकार मॉनसून सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में संसद सदस्यों के भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020 समेत तीन विधेयक पेश करेगी। अन्य विधेयकों में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 और बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 शामिल हैं। इन विधेयकों को सोमवार को लोकसभा में पेश किया गया था।
संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक को सदन में पेश करेंगे। इसी मुद्दे पर जारी अध्यादेश को कानून बनाने के लिए ये विधेयक लाया जाएगा। यह 20 से अधिक नए विधेयकों में से है, जो 11 अध्यादेशों की जगह लेंगे, जिन्हें सरकार इस दौरान पारित करने का लक्ष्य रखती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 को संशोधित करने के लिए बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 सदन में पेश करेंगी।
लद्दाख में चीन से तनाव का मुद्दा
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में कई महीने से चीन के साथ तनाव जारी है। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं। कई दौर की वार्ता होने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। विपक्ष सरकार पर दबाव बनाए हुए है कि सरकार इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान दे।
हाल ही में रूस की राजधानी मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक से इतर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उनके चीनी समकक्ष के बीच तकरीबन 2 घंटे बैठक हुई थी। इसमें तय किया गया था कि दोनों देश आपसी बातचीत से सीमा विवाद का मुद्दा सुलझाएंगे, लेकिन इस पर फैसला नहीं हो सका कि दोनों देशों की सेनाएं कब पीछे हटेंगी।