मंदसौर गोलीकांड: जेके जैन आयोग ने पुलिस और CRPF जवानों को दी क्लीनचिट
मंदसौर गोलीकांड: जेके जैन आयोग ने पुलिस और CRPF जवानों को दी क्लीनचिट
डिजिटल डेस्क, मंदसौर। मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड में किसानों को गोली मारने वाले पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों को जस्टिस जेके जैन आयोग ने क्लीन चिट दे दी है। नौ महीने देरी से आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन परिस्थितियों में भीड़ को तितर-बितर करने और आत्मरक्षा के लिए गोली चलाना जरूरी और न्यायसंगत था। वहीं रिपोर्ट को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि इससे शिवराज सरकार की किसान विरोधी मंशा उजागर हुई है।
जिला प्रशासन ने किसानों की समस्या जानने की कोशिश नहीं की
आयोग ने गोलीकांड में निलंबित हुए कलेक्टर स्वतंत्र कुमार और एसपी ओपी त्रिपाठी को भी सीधे तौर पर दोषी नहीं ठहराया है। रिपोर्ट में सिर्फ ये कहा गया है कि पुलिस और जिला प्रशासन का सूचना तंत्र कमजोर था। आपसी सामंजस्य नहीं होने की वजह से किसानों का आंदोलन इतना उग्र हुआ था। जिला प्रशासन को किसानों की समस्याओं और उनकी समस्याओं की जानकारी नहीं थी और न ही उन्होंने जानने की कोशिश की।
पुलिस ने गोली चलाने के नियमों का पालन नहीं किया- रिपोर्ट
हालांकि रिपोर्ट में नियमों को लेकर ये जिक्र किया गया है कि पुलिस ने गोली चलाते वक्त नियमों का पालन नहीं किया। पुलिस को सबसे पहले पैर में गोली चलानी चाहिए थी। वहीं रिपोर्ट पर राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि आयोग ने जो पाया होगा वही जांच रिपोर्ट में लिखा है।
रिपोर्ट पर कमलनाथ की तीखी प्रतिक्रिया
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने जेके जैन आयोग की रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस तरह से आयोग का कार्यकाल बार- बार बढ़ाया गया, कार्यकाल खत्म होने के बाद भी रिपोर्ट जारी करने में जानबूझकर देरी की गई, उसी से ये साफ है कि शिवराज सरकार के निर्देशन में रिपोर्ट में दोषियों को बचाने का खेल, खेला जा रहा है। जांच रिपोर्ट गोल-माल होगी और इससे पीड़ितों को कोई न्याय नहीं मिलेगा। दोषियों को पूरी तरह से बचा लिया जायेगा।
आयोग की रिपोर्ट पर उठाए कई सवाल
कमलनाथ ने रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के मुखिया ने इस गोलीकांड के बाद शाही उपवास पर बैठकर पीड़ित किसानों के परिजनो से जो वादे किए थे, वो सब झूठे साबित हुए। शिवराज ने घड़ियाली आंसू बहाये थे। अब सच सामने आ गया है।
कमलनाथ ने शिवराज सरकार से इन सवालों का जवाब मांगा है -
- इस रिपोर्ट में आंदोलनकारी किसानों को किसान नहीं असामाजिक तत्व माना गया है। क्या किसान पुत्र शिवराज इससे सहमत है ?
- यदि वो किसान नहीं असामाजिक तत्व थे तो फिर मुआवज़ा राशि किसे दी गई, किसान को या असामाजिक तत्व को ?
- रिपोर्ट में पुलिस को क्लीनचिट देते हुए कहा गया है कि भीड़ को तितर-बितर करने और आत्मरक्षा के लिये गोली चलाना आवश्यक था। क्या शिवराज जी इससे सहमत हैं ?
- रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है असामाजिक तत्वों ने 7 जवानो को घेर लिया, उन पर पेट्रोल बम फेंके,मारपीट की उसके बाद पुलिस ने गोली चलाई। जिसमें दो लोगों की मौत हुई। अब जब रिपोर्ट में असामाजिक तत्वों के घेरने का उल्लेख है, तो गोली से किसान कैसे मारे गए?
- रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है असामाजिक तत्वों ने पिपल्यामंडी थाने में घुसकर तोड़फोड़ की। जिस पर पुलिस ने गोली चलाई,जिसमें 3 लोगों की मौत हुई। ये किसान थे या असामाजिक तत्व ? शिवराज जवाब दें ?
- गोलीकांड के बाद दोषी पाए गए तत्कालीन एसपी और कलेक्टर को इस रिपोर्ट में सीधे दोषी नहीं माना गया है? पुलिस और सीआरपीएफ को क्लीन चिट दी गई है तो आखिर किसानों की मौत का दोषी कौन ?
6 जून 2017 को हुई थी किसानों की मौत
गौरतलब है कि 6 जून 2017 को मंदसौर के पिपल्यामंडी में आंदोलन कर रहे पांच किसानों की पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई थी। घटना के दो दिन बाद ही सरकार ने मंदसौर के तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह और एसपी ओपी त्रिपाठी को सस्पेंड कर दिया था।
जांच के लिए किया गया था जेके जैन आयोग का गठन
इस घटना की जांच के लिए प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जेके जैन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था। आयोग को 11 सितंबर 2017 को सरकार को रिपोर्ट सौंपना था, लेकिन जांच आयोग ने नौ महीने की देरी से सरकार को रिपोर्ट सौंपी है।
दो सौ से ज्यादा गवाहों के बयान हुए थे दर्ज
आयोग ने जांच के दौरान 185 आम जनता और 26 सरकारी गवाह सहित कुल 211 गवाहों के बयान लिए थे। आयोग ने 20 सितंबर को पहला बयान दर्ज किया था। जबकि 2 अप्रैल 2018 को तत्कालीन मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह का बयान अंतिम बयान था।