वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर कान्हा नेशनल पार्क!

कान्हा नेशनल पार्क वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर कान्हा नेशनल पार्क!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-08 10:38 GMT
वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर कान्हा नेशनल पार्क!

डिजिटल डेस्क | छतरपुर वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं के लिए मशहूर कान्हा नेशनल पार्क प्रदेश में स्थापित नेशनल पार्कों के प्रति देशी पर्यटकों के साथ विदेशी पर्यटक बहुत तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इनमें से एक है कान्हा नेशनल पार्क। यह पार्क वन सम्पदा, वन्य जीवों की प्रचुरता और जैविकी विविधताओं से लबरेज है। कान्हा नेशनल पार्क विलक्षण और अद्वितीय प्राकृतिक आवास के लिए जाना जाता है। कान्हा का संपूर्ण वन क्षेत्र वैभवशाली अतीत को आज भी संजोए हुए है, जिसकी वजह से यह पार्क देशी-विदेशी पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींचता है। मण्डला और बालाघाट जिले की सीमा से लगा यह पार्क प्राकृतिक और पर्यावरणीय गौरव के लिए जाना जाता है।

क्षेत्रफल के लिहाज से इसका देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पार्कों में शुमार है। कोर वन मण्डल (राष्ट्रीय उद्यान) एवं बफर जोन वन मण्डल कान्हा टाईगर रिजर्व के अन्तर्गत आते हैं। इन दोनों वन मण्डल का क्षेत्रफल क्रमशः 940 और 1134 वर्ग कि.मी. है। राष्ट्रीय उद्यान में 91 हजार 743 वर्ग किमी का क्षेत्रफल क्रिटिकल टाईगर हेबीटेट के रूप में अधिसूचित है। इसके अलावा टाइगर रिजर्व के अधीन एक वन्य-प्राणी अभयारण्य सेटेलाइट मिनी कोर-फेन अभयारण्य है, जो 110.74 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। 118 बाघ और 146 तेंदुए सहित अनेक वन्य-जीव हैं मौजूद टाइगर रिजर्व में वन्य- प्राणी गणना आकलन 2020 के अनुसार 118 बाघ और 146 तेंदुए मौजूद हैं।

बाघों में 83 वयस्क और 35 शावक बाघ हैं। इसके अलावा जंगली कुत्ता, लकड़ बग्घा, सियार,भेड़िया, भालू (रीछ), लोमड़ी, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, गौर, चीतल, बारहसिंघा, सांभर, मेड़क-मेड़की, चौसिंघा, नीलगाय, नेवला, पानी कुत्ता (उद बिलाव), सेही, लंगूर, बंदर, मोर प्रजाति के वन्य-जीव उपलब्ध हैं। साथ ही स्तनधारियों की तकरीबन 43 प्रजाति, पक्षियों की 325, सरी सृप की 39, कीट की 500, मकड़ी की 114 और पतंगों और तितलियों की भी अनेक प्रजाति पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं। पार्क के यह स्थल हैं बेहद खास फेन अभ्यारण्य टाइगर रिजर्व की विशेष इकाई फेन अभ्यारण्य है। वर्ष 1983 में 110 वर्ग किमी का क्षेत्र फेन अभ्यारण्य घोषित हुआ।

यह क्षेत्र वन्य-जीव के आवासीय स्थल के रूप में पिछले वर्षों से, काफी विकसित हुआ हैं। इस क्षेत्र में पूर्व में 38 मवेशी गाय, भैंस रहकर वन क्षेत्र को नष्ट किया करती थी। वर्ष 1997-98 के मध्य यहां से सभी शिवरों को विशेष मुहिम से हटा दिया, तब से यहां के वन काफी अच्छे हो गए हैं जिससे अब यहां बाघ, तेंदुआ, बायसन, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ता आदि विचरण करते दिखाई देते है। श्रवणताल - कान्हा से 4 किमी की दूरी पर श्रवणताल है। पौराणिक मान्यता अनुसार राजा दशरथ के तीर से मातृ-पितृ भक्त श्रवण कुमार की मृत्यु इसी स्थान पर होना माना जाता है। यहां कई साल पहले तक मकर संक्राति का मेला लगता था।

श्रवणताल में वर्ष भर पानी रहता है, जिसके कारण नीचे स्थित मेन्हरनाला और देशीनाला क्षेत्र में पानी रिसने से हमेशा नमी बनी रहती है, जो बाघ के लिए उपयुक्त आवास है। बारहसिंघा पानी में घुसकर यहां जलीय पौधों को अपना भोजन बनाते हैं। किसली मैदान (चुप्पे मैदान) - पार्क का यह मुख्य प्रवेश द्वार है। वर्ष 1986-87 में यहाँ बसे लोगों को पार्क के बाहर कपोट बहरा में विस्थापित किया गया था। ढ़ाई दशक पहले यहाँ आरा मिल का ऑफिस लगा करता था। डिगडोला - किसली परिक्षेत्र के उत्तर पूर्व पहाड़ी में एक बैलेंसिंग रॉक संतुलित चट्टान पर अपना संतुलन बनाये रखी है। इस क्षेत्र को डिगडोला कहते हैं।

आदिवासियों के लिए यह पूजा स्थल के रूप में विख्यात है। कान्हा मैदान - कान्हा के चारों ओर घास के मैदान स्थित हैं। यहां पहले खेती हुआ करती थी। विस्थापन में 26 परिवारों को वर्ष 1998-99 में मानेगाँव में बसाया गया। इसके बाद खेत घास के मैदान में परिवर्तित हो गये, जिसके कारण शाकाहारी वन्य-प्राणियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई।

कान्हा एनीकट - देशीनाला में बना एनीकट जल संवर्धन के साथ वन्य जीवों के लिये बहु-उपयोगी माना जाता है। इस एनीकट का निर्माण 72 साल पहले हुआ था। चुहरी - कान्हा से 3 किमी की दूरी पर चुहरी क्षेत्र है। पानी वाली जगह का चुहरी कहा जाता है। यह क्षेत्र बाघों के आवास के लिए उपयुक्त माना जाता है। बारासिंघा फेंसिंग - इसका निर्माण पचास साल पहले हुआ था। बारहसिंघा का संवर्धन इसी क्षेत्र में ही किया जाता है। इनके संबंध में अनुसंधान और अनुश्रवण आदि के कार्नीवोरस प्रूफ फेंसिंग के अंदर कुछ बारहसिंघा को आवश्यकतानुसार यहां पर रखा जाता है। बारहसिंघा की संख्या में वृद्धि होने पर उन्हें बाद में मुक्त कर दिया जाता है। बिसनपुरा - कान्हा-मुक्की मार्ग में बिसनपुरा मैदान स्थित है। पहले इस स्थान में छोटा गांव %

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