हताशा में टमाटर की फसल मवेशियों को परोसी, 4 गाय, दो बछड़ों की मौत
दोहरी मार हताशा में टमाटर की फसल मवेशियों को परोसी, 4 गाय, दो बछड़ों की मौत
छिंदवाड़ा। फसलों का उत्पादन बढ़ाने उपयोग किए जा रहे रसायनिक उर्वरक और कीटनाशक जान लेवा साबित हो रहे हैं। टमाटर को भाव नहीं मिलने पर मोहखेड़ ब्लॉक के शक्करझिरी गांव के किसान शिशुपाल शेरके ने फसल काटकर मवेशियों को परोस दी। हरे टमाटर और पौधे खाकर मवेशी बीमार पड़ गए। रात भर में एक के बाद एक 6 मवेशियों ने दम तोड़ दिया, जबकि 4 का इलाज जारी है। मृत मवेशियों में 4 गाय, 1 बछिया और 1 बछड़ा शामिल हैं।
मवेशियों की मौत से हैरान पशु चिकित्सक ने जब पोस्टमार्टम किया तो बीमारी के लक्षण समझ नहीं आए। प्रथम दृष्टया मवेशियों की मौत पाइजनिंग की वजह से मानी जा रही है।
फसल के नुकसान के साथ मवेशियों से भी हाथ धो बैठे:
करीब दो एकड़ में टमाटर की फसल लगाई थी। मंडी और बाजार में भाव नहीं मिलने पर करीब एक माह तक पके टमाटर तोडक़र मवेशियों को खिलाए। पके टमाटर खाने से मवेशियों को कुछ नहीं हुआ। भाव में सुधार नहीं होने से हताश होकर टमाटर की फसल ही उखाड़ दी। हरे टमाटर और पौधे काटकर मवेशियों को खिला दिए। जिससे मवेशी बीमार हो गए। मंगलवार सुबह दो मवेशी बीमार हो गए। जबकि शाम तक चार और मवेशी बीमार हो गए। सुबह व शाम को डॉक्टर से मवेशियों का इलाज कराया। जबकि रात में मवेशियों की हालत गंभीर हो गई। सुबह तक एक-एक कर ६ मवेशी मर गए। जिसमें एक गाय, 1 बछिया और 1 बछड़ा शामिल है। चार मवेशियों का अब भी इलाज करा रहे हैं। फसल से बड़ा नुकसान हुआ अब मवेशियों से भी हाथ धोना पड़ गया। टमाटर को भाव नहीं मिलने से दो लाख रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। अब दुघारू मवेशियों की मौत से नुकसान दो गुना बढ़ गया है।- जैसा किसान शिशुपाल शेरके ने दैनिक भास्कर को बताया
डॉक्टर का कहना... बीमारी के लक्षण नहीं, पाइजनिंग की आशंका:
मवेशियों का इलाज कर रहे डॉक्टर जीतेंद्र बघेल का कहना है कि वे पशुपालक की सूचना पर इलाज करने पहुंचे थे। प्राथमिक इलाज में बीमारी के लक्षण नहीं दिखे। सामान्य उपचार दिया गया था। जबकि रात में मवेशियों की हालत गंभीर हो गई और सुबह तक ६ मवेशियों की मौत हो गई। कारणों का पता लगाने पोस्टमार्टम किया गया, लेकिन पीएम में भी कोई बीमारी की वजह सामने नहीं आई। किसान ने हरे टमाटर व फसल खिलाने की बात कही। जिससे मवेशियों की मौत पौधों में मौजूद रसायनिक उवर्रक और कीटनाशक के असर से होने की आशंका है। प्रथम दृष्टया पाइजनिंग से ही मौत होना पाया गया है।
जिले में 15 सौ हेक्टेयर में लगा था टमाटर:
जिले में करीब 15 सौ हेक्टेयर में किसानों ने टमाटर की फसल लगाई थी। मोहखेड़, परसिया, उमरेठ, बिछुआ, चौरई, पांढुना्र्र व छिंदवाड़ा में टमाटर की खेती होती है। इस बार पैदावार तो अच्छी हुई लेकिन भाव नहीं मिले। नौबत यह रही कि किसानों को टमाटर तुड़वाना महंगा साबित हुआ। अधिकांश किसानों ने फसल उखाडक़र फेंकना ही उचित समझा।
सलाह... पशुओं को न खिलाएं केमिकल व कीटनाशक के उपयोग वाली हरी फसल:
- किसान रसायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग न करें। बहुत आवश्यक होने पर ही सावधानीपूर्वक उपयोग करें।
- यदि रसायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग किया है तो अनचाही स्थिति में हरी फसल मवेशियों को न खिलाएं।
- कोशिश करें कि रसायन की जगह जैविक खाद का उपयोग करें। इससे किसी भी प्रकार की हानि नहीं है। उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ज्यादा मिलेगी।
- डॉ जीतेंद्र बघेल के अनुसार