SSR death case: संजय राउत के आरोपों पर बोले बिहार DGP, मुझे जितनी भी गाली दो, मगर सुशांत को न्याय चाहिए
SSR death case: संजय राउत के आरोपों पर बोले बिहार DGP, मुझे जितनी भी गाली दो, मगर सुशांत को न्याय चाहिए
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने शिवसेना नेता संजय राउत के आरोपों पर पलटवार किया है। पांडे ने कहा कि भले ही उन्हें गाली दी जाए, लेकिन वो सुशांत सिंह राजपूत के साथ न्याय के लिए लड़ते रहेंगे। बता दें कि डिजीपी सुशांत सिंह केस को लेकर मुंबई पुलिस पर लगातार निशाना साध रहे हैं। संजय राउत ने सामना में एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने डीजीपी पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
डीजीपी ने ट्वीट कर कहा, "जीवन भर निष्पक्ष रहकर निष्ठा पूर्वक आम जनता की सेवा की है। मुझ पर बहुत तथ्य हीन आरोप लगाए जा रहे हैं जिसका जवाब देना उचित नहीं है। हिफाजत हर किसी की मालिक बहुत खूबी से करता है। हवा भी चलती रहती है दीया भी जलता रहता है। मुझे जितनी भी गाली दो लेकिन सुशांत को न्याय चाहिए।"
बता दें कि संजय राउत ने कहा था, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे समाचार चैनलों पर खाकी वर्दी में जाकर मुंबई पुलिस की कार्य पद्धति पर ताव-ताव में बोलते हैं। समाचार चैनल पर चर्चा में शामिल होते हैं। यह सीधे-सीधे पुलिसिया अनुशासन का उल्लंघन है। उस पर इस गुप्तेश्वर पांडे से अनुशासन के पालन की उम्मीद ही क्यों की जाए?
राउत ने कहा, ये गुप्तेश्वर पांडे कौन हैं? वर्ष 2009 में वे डीआईजी रहते हुए पुलिस सेवा से वीआरएस लेकर सीधे राजनीति में कूद गए. विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर ‘बक्सर’ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए खड़े हो गए लेकिन भाजपा के सांसद लालमुनि चौबे द्वारा बगावत करने की धमकी दिए जाने के साथ ही चौबे की उम्मीदवारी फिर बरकरार कर दी गई. इससे गुप्तेश्वर पांडे बीच में ही लटक गए. उनकी अवस्था ‘न घर के न घाट के’ जैसी हो गई. इस तरह से राजनीति में घुसने का उनका मिशन फेल हो गया. उसके बाद उन्होंने सेवा में लौटने के लिए फिर आवेदन-निवेदन किए.
राउत ने कहा, पांडे पहले भाजपा के खेमे में थे और आज नीतीश कुमार के खास हैं। भाजपा से उम्मीदवारी स्वीकार करनेवाले पांडे की मुंबई पुलिस की कार्य क्षमता पर सवाल खड़े करना हास्यास्पद है। उस पर अब ऐसी खबरें बिहार के अखबारों में छपी हैं कि पांडे शाहपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। खबरों में ऐसा भी कहा गया है कि उनके सेवाकाल में 6 महीने बचे हैं, लेकिन वह इस्तीफा दे सकते हैं और जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। राउत ने कहा ऐसी पुलिस से समाज को क्या अपेक्षा रखनी चाहिए?