7 गिरफ्तार, 2 तहसीलदार निलंबित, लेकिन 11.16 करोड़ जारी करने वाले कोषालय पर कौन मेहरबान!
सिवनी 7 गिरफ्तार, 2 तहसीलदार निलंबित, लेकिन 11.16 करोड़ जारी करने वाले कोषालय पर कौन मेहरबान!
डिजिटल डेस्क, सिवनी। 279 मनगढ़ंत लोगों को मृत बताकर केवलारी तहसील में राहत राशि के नाम पर किए गए 11.16 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में जबलपुर कमिश्नर बी चंद्रशेखर द्वारा मंगलवार को आदेश जारी कर निलंबित किए गए केवलारी में पदस्थ रहे तत्कालीन तहसीलदार गौरीशंकर शर्मा व हरीश लालवानी की परेशानी और बढ़ सकती है। मजिस्ट्रीयल जांच समिति द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर निलंबन के बाद मामले की जांच कर रही केवलारी पुलिस हरकत में आ गई है। पुलिस सूत्रों के अनुसार केवलारी पुलिस ने निलंबन आदेश व मजिस्ट्रीयल जांच समिति के प्रतिवेदन में उल्लेखित बिंदुओं का परीक्षण शुरू कर दिया है, वहीं जिला अभियोजन अधिकारी से अभिमत लेने की तैयारी में भी जुटी है। इस मामले में जिला कोषालय की भूमिका को लेकर भी शुरू से ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं। राहत राशि के फर्जी आदेश सीधे ग्लोबल पोर्टल पर अपलोड किए जाने के बाद जिला कोषालय से बिना छानबीन के दो साल के भीतर एक ही तहसील के राहत राशि के पौने तीन सौ से ज्यादा प्रकरणों में एक के बाद एक धड़ल्ले से लाखों रुपए का भुगतान दूसरों के खाते में कैसे जारी किया जाता रहा। जिला कोषालय से इस घोटाले की राशि एक ही खाते में कई-कई कैसे जारी होते रही, यह भी बड़ा सवाल है, जबकि विभागीय भुगतान की फाइलों को जिला कोषालय से जरा सी खामी पर आपत्ति लगाकर वापस कर दिया जाता है।
आपत्ति लगाकर लौटा देते हैं फाइल
11.16 करोड़ के इस घोटाले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी केवलारी तहसील में पदस्थ रहे बाबू सचिन दहायत (नायब नाजिर) द्वारा राहत राशि के फर्जी आदेश बनाकर ग्लोबल पोर्टल पर सीधे अपलोड कर दिए जाते थे। तहसीलदार/डीडीओ (आहरण एवं संवितरण अधिकारी) को भनक तक नहीं लग पाती थी। वहीं जिला कोषालय से सीधे राशि खाते में जारी हो जाती थी। जब सीधे फर्जी आदेश बनाकर अपलोड किए जाने के मामले में दो तहसीलदारों को पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही एवं उदासीनता तथा शासन को वित्तीय क्षति पहुंचाने की अनियमितता के आरोप में निलंबित किया गया है, तो फिर जिस जिला कोषालय से इस घोटाले की पाई-पाई जारी की गई, उस पर कौन मेहरबानी कर रहा है। पुलिस भी सिर्फ कोषालय के एक लिपिक दुर्गेश पवार को गिरफ्तार कर जेल भेजने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठी है, जबकि जानकारों के अनुसार ट्रेजरी ऑफिसर की मंजूरी के बिना एक रुपए का भी भुगतान नहीं होता है। जरा-जरा सी खामी पर ट्रेजरी से आपत्ति लगाकर विभागों की भुगतान संबंधी फाइलें लौटा दी जाती हैं।
1.30 करोड़ की रिकवरी
इस मामले में केवलारी पुलिस धारा 408, 409, 467, 468, 471 व 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अब तक जहां मुख्य आरोपी केवलारी तहसील में पदस्थ रहे बाबू सचिन दहायत (नायब नाजिर) सहित 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। सातों आरोपी जेल में हैं। गिरफ्तार आरोपियों में बाबू दहायत सहित ट्रेजरी का लिपिक दुर्गेश पवार, निजी बैंक के दो कर्मी श्रेष्ठ अवधिया, विशेष अवधिया, अजय यादव, शिवम अग्रवाल, राधेश्याम बंदेवार व ललित सरयाम शामिल हैं। पुलिस घोटाले में अब तक 1 करोड़ 30 लाख रुपए की रिकवरी कर चुकी है। इसमें 20 से 25 लाख रुपए नगदी सहित बैंक एफडी, गाड़ी, सीज बैंक खातों में जमा राशि व घोटाले की राशि से खरीदी गई ज्वेलरी शामिल है। पुलिस द्वारा इस मामले में अब तक 40 बैंक खाते सीज किए जा चुके हैं।
इनका कहना है-
मामले की विवेचना जारी है। अब तक कुल एक करोड़ तीस लाख की रिकवरी की जा चुकी है। तहसीलदारों के संबंध में जिला अभियोजन अधिकारी से अभिमत लिए जाने के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।
- किशोर वामनकर, टीआई, केवलारी