नियाेजन के अभाव में 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

गड़चिरोली नियाेजन के अभाव में 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-10 09:55 GMT
नियाेजन के अभाव में 46 अगरबत्ती प्रकल्प बंद

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। उद्योग विहीन गड़चिरोली जिले में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए वनविभाग ने पहल करते हुए अगरबत्ती प्रकल्प योजना को क्रियान्वित किया। योजना के तहत 7 करोड़ रुपए की लागत से जिले के विभिन्न स्थानों पर 46 अगरबत्ती केंद्र स्थापित किये गये। लेकिन वर्तमान में इन केंद्रों में किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जा रहा है। यह प्रकल्प पूरी तरह बंद होने के कारण स्थानीय बेरोजगारों से रोजगार छिन गया है। जिले के नाममात्र केंद्रों में इन दिनों केवल अगरबत्तियों के स्टीक बनाने का कार्य जारी होने की जानकारी मिली है। 
  बता दें कि, गड़चिरोली वनवृत्त के तत्कालीन मुख्य वनसंरक्षक रेड्डी की संकल्पना से जिले में अगरबत्ती केंद्र आरंभ किये गये। गड़चिरोली जिले के देसाईगंज, गड़चिरोली, आलापल्ली, भामरागढ़ व सिरोंचा आदि 5 वनविभाग अंतर्गत 46 अगरबत्ती प्रकल्प शुरू किये गये। इनमें प्रायोगिक तत्व पर 5 प्रकल्प, आईएपी अंतर्गत 26, मानव विकास मिशन के तहत 11 और जिला योजना अंतर्गत चार प्रकल्प आरंभ किये गये। प्रायोगिक तत्व पर शुरू किये गये 5 प्रकल्पों के लिये प्रति प्रकल्प 60 लाख रुपए का खर्च किया गया।
यह प्रकल्प घोट, भामरागढ़, सिरोंचा, देऊलगांव व पोर्ला में आरंभ किये गये। मात्र यह सभी प्रायोगिक प्रकल्प बंद पड़े हुए है। जिला मुख्यालय से सटे पोर्ला का अगरबत्ती प्रकल्प विगत अनेक दिनों से बंद पड़ा है। प्रकल्प बंद होने के कारण रोजगार प्राप्त महिलाओं को अब काम के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। वहीं आईएपी योजना अंतर्गत  वनविभाग की ओर से 26 अगरबत्ती प्रकल्प शुरू किये गये। जिनमें आलापल्ली, गोमनी, हालेवारा, ताडग़ांव, लाहेरी, कोटी, जांभई, कसूरवाही, गट्टा, अमराडी, रोमपल्ली, झिंगानुर, वडधम, जिमलगट्टा, आदि प्रकल्प का समावेश किया गया। 
इन प्रकल्पों के लिये प्रत्येकी 17 लाख 83 हजार रुपए खर्च किये गये। इन सभी 26 प्रकल्पों के लिए आईएपी योजना के तहत गोदामों का निर्माण किया गया। जिसके बाद अगरबत्ती के लिए आवश्यक मशीनें उपलब्ध कराकर अगरबत्ती निर्माण का कार्य आरंभ किया गया। लेकिन वर्तमान में यह प्रकल्प भी बंद है। 
  मानव विकास मिशन कार्यक्रम अंतर्गत  जिले में 11  अगरबत्ती प्रकल्प कार्यान्वित किये गये। यह प्रकल्प हलदवाही, बामनपेठा, तालाचेरू, पेरमिली, गुरूपल्ली, गेदा, रेपनपल्ली, पोटेगांव, रांगी, कुरखेड़ा, मरेगांव में आरंभ किये गये। इन प्रकल्पों पर प्रत्येकी 17 लाख 83 हजार रुपए खर्च किये जाने की जानकारी है। मात्र इन प्रकल्पों में भी वर्तमान में किसी प्रकार की अगरबत्ती तैयार नहीं की जाती। 
सनद रहें कि, शुरूआती दिनों में अगरबत्ती प्रकल्प का सारा कार्य मुंबई स्थित एक निजी कंपनी को दिया गया था। कंपनी के अधिकारियों ने गड़चिरोली वनविभाग के कार्यालय से सटे एक इमारत में अपना कार्यालय आरंभ किया था। 
लेकिन 3 वर्षों में ही संबंधित कंपनी से प्रकल्प का कार्य वनविभाग ने निकाल दिया। इसके बाद स्वयं वनविभाग ही वनरक्षकों के माध्यम से प्रकल्प संचालन करने लगा। लेकिन वनविभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली से सारे केंद्र बंद होने से करोड़ों रुपए की मशीनें धूल खा रही हैं।

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