टोक्यो में लहराया भारतीय परचम, जीते अब तक सबसे ज्यादा ओलंपिक मेडल
अलविदा 2021 टोक्यो में लहराया भारतीय परचम, जीते अब तक सबसे ज्यादा ओलंपिक मेडल
- भारतीय एथलिट ने सात पदक अपने नाम किये
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय खेलों के नजरिये से वर्ष 2021 वास्तव में बहुत खास रहा। यह साल खतरनाक 2020 के बाद आशा की नई किरण लेकर आया। साल 2020, जिसमें अधिकांश खेल आयोजन रद्द हो गए थे। टोक्यो ओलंपिक भी उनमें से एक था, लेकिन खेलों के महाकुंभ ने 2021 में वापसी की, जहां भारतीय खिलाड़ियों ने मेडल के साथ-साथ दिल भी जीते।
इस वर्ष ने खेल की एकीकृत शक्ति और एकजुटता के महत्व को भी स्वीकार किया, जिससे ओलंपिक आदर्श वाक्य (Olympic motto) में ही बदलाव आ गया । "एक साथ" शब्द "तेज, उच्च, मजबूत" के लिए एक एन डैश के बाद जोड़ा गया था। नया ओलंपिक आदर्श वाक्य अब "सिटियस, अल्टियस, फोर्टियस - कम्युनिटर" और "फास्टर, हायर, स्ट्रॉन्गर - टुगेदर" हो गया है।
भारत के लिए कई "पहली बार"
टोक्यो ओलंपिक में भारत ने किसी भी एक इवेंट में जीते गए सबसे ज्यादा मेडल (7) का रिकॉर्ड बनाया। इतना ही नहीं पहली बार भावना देवी ने तलबारबाजी में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। इसके अलावा अदिति अशोक ने गोल्फ में चौथे स्थान पर समाप्त किया, चंद अंको से वह मेडल से चूक गई।
पहली बार नीरज चोपड़ा ने ट्रैक एंड फील्ड इवेंट के जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास ही रच दिया।
आइये एक नजर डालते है उन भारतीय खिलाड़ियों पर जिन्होंने इस साल भारत का सर गर्व से ऊंचा कर दिया -
गोल्डन बॉय का "थ्रो ऑफ द नेशन"
यह साल नीरज चोपड़ा के नाम रहा। 23 साल के छोरे ने 87. 58 मीटर का जेवलिन थ्रो कर पहली बार ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत की झोली में स्वर्ण पदक डाला। जिस पल नीरज ने यह कीर्तिमान रचा, उस पल देश का सर गर्व से ऊंचा हो गया। टोक्यो की धरती पर शान से भारतीय परचम लहराया।
आने वाले समय में वर्ष 2021 नीरज चोपड़ा के नाम से ही जाना जाएगा। शायद ही कोई होगा जो ओलंपिक में किसी भारतीय के एथलेटिक्स स्वर्ण जीतने की कल्पना कर सकता था।
टोक्यो ओलंपिक से पहले, नीरज से उनके प्रदर्शन को लेकर बहुत उम्मीदें थीं और कुछ ने कांस्य की भी उम्मीद की होगी, लेकिन एक गोल्ड मेडल दूर का सपना था, पर उस दौरान नीरज के साथ-साथ उस पोडियम पर भारत के करोड़ो लोगों ने उस गोल्ड मेडल को अपने गले में पहना हुआ महसूस किया।
नीरज चोपड़ा ने सिर्फ अपने खेल से ही नहीं बल्कि अपनी सादगी से भी लोगों के दिल में जगह बनाई। गोल्ड मेडल जीतने के बाद, उन्हें लगभग भारत में हर किसी के द्वारा सम्मानित किया गया और यहां तक कि उसके निजी जीवन के बारे में भी पूछा जाता था, लेकिन एक मासूम जवाब के साथ, उन्होंने उन सवालों को दरकिनार कर दिया और कहा कि वह सिर्फ खेल पर ध्यान देना चाहते है।
इस साल नीरज चोपड़ा को उनके ऐतहासिक प्रदर्शन के लिए मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
मीराबाई चानू ने ओलंपिक के दूसरे ही दिन भारत की झोली में डाला पदक
सैखोम मीराबाई चानू ने महिलाओं के 49 किलोग्राम वर्ग में कुल 202 किलोग्राम भार उठाकर पूरे देश को गौरवान्वित किया। चानू ने टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का पदक तालिका में खाता खोला था।
चानू ओलंपिक में भारत के लिए वेटलिफ्टिंग में पदक जीतने वाली दूसरी महिला खिलाड़ी है, इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मैडल जीता था।
सिल्वर मेडल से खुश नहीं है रवि कुमार दहिया
पहलवानों की धरती हरियाणा के सोनीपत जिले के रवि कुमार दहिया ने पहलवानी (wrestling) में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन 23 वर्षीय पहलवान (wrestler ) अपने प्रदर्शन से ज्यादा खुश नहीं दिखे। शायद, गोल्ड से ही उन्हें संतुष्टि मिलेगी। दहिया ने सेमीफाइनल में प्रतिद्वंद्वी नुरिसलाम सनायेव के खिलाफ 2-9 से पीछे रहते हुए, चित कर (victory by fall) से जीत दर्ज की।
कजाखिस्तान के पहलवान ने उन्हें काट भी लिया, लेकि दहिया ने तब तक पकड़ नहीं छोड़ी जब तक रेफरी ने उन्हें विजेता घोषित नहीं कर दिया। दहिया ने कड़ा संघर्ष किया लेकिन फाइनल में हारकर सुशील कुमार के बाद भारत के दूसरे रजत पदक विजेता पहलवान बने। वह 2024 में अपने पदक के रंग को बदल सकते है।
भारतीय हॉकी की वापसी
मौजूदा भारतीय हॉकी टीम का एक भी खिलाड़ी तब पैदा नहीं हुआ था जब भारत ने आखिरी बार हॉकी में ओलंपिक पदक जीता था। लेकिन वापसी करनी सीखनी है तो आप मनप्रीत की टीम से सीख सकते है, पहले मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 7-1 से बुरी तरह मात खाने के बाद, कोई सोच भी नहीं सकता था की यह टीम पोडियम फिनिश करेगी। लेकिन बुलंद हौसलों से यह मुमकिन हो पाया, जहां भारत ने ब्रॉन्ज मेडल जीतकर, भारत में हॉकी की वापसी कराई।
इतना ही नहीं देश की बेटियों ने भी अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया। हालांकि, भारतीय हॉकी टीम मेडल जीतने से चूक गई लेकिन अपने शानदार खेल से हर भारतीय के दिल में जगह बनाई।
पीवी सिंधु ने जीता दूसरा ओलंपिक मेडल
रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली सिंधु ने टोक्यो में भी कमाल का प्रदर्शन किया और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर दूसरा ओलंपिक पदक अपने नाम किया।
ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धाओं में सुशील कुमार के बाद में दो पदक जीतने वाली वह दूसरी भारतीय खिलाड़ी है।
लवलीना बोरगोहेन ने लगाया पदकीय पंच
असम के एक छोटे से गांव की लवलीना बोरगोहेन ने मुक्केबाजी में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। पिछले साल कोविड -19 के कारण उनकी तैयारियां पर असर पड़ा।
उन्होंने फिट रहने के लिए एलपीजी सिलेंडर उठाया,धान के खेतों में काम किया और अंत में मेडल लेकर स्वदेश लौटी।
इंजरी के बाद भी बजरंग पुनिया ने जीता मेडल
घुटने में चोट के बावजूद बजरंग पुनिया ने खेलने का फैसला किया, विरोधी ने पैरों पर हमला कर दिया, लेकिन ब्रॉन्ज मेडल की की लड़ाई में, हरियाणा के झज्जर जिले के 27 वर्षीय ने कजाकिस्तान के दौलेट नियाजबेकोव के खिलाफ एक शानदार पदक विजेता प्रदर्शन किया।
उन्होंने दौलेट नियाजबेकोव को 8-0 से मात देकर सचमुच एक चैंपियन वाला प्रदर्शन किया।