फेडरेशन से प्रताड़ित होकर छोड़ी थी वेटलिफ्टिंग, भारत की पहली WWE महिला रेसलर ने पहलवानों का समर्थन करते हुए सुनाई आपबीती
पहलवानों का प्रदर्शन फेडरेशन से प्रताड़ित होकर छोड़ी थी वेटलिफ्टिंग, भारत की पहली WWE महिला रेसलर ने पहलवानों का समर्थन करते हुए सुनाई आपबीती
- मुझे वेटलिफ्टिंग छोड़नी पड़ी और रेसलिंग की ओर रुख करना पड़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय पहलवानों की दिल्ली के जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना प्रदर्शन लगातार तीसरे दिन भी जारी है। भारतीय पहलवानों के इस हिम्मत भरे कदम के बाद पूरा देश धीरे-धीरे उनके साथ खड़ा हो रहा है। इसके साथ ही कई अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी अपने साथ हुए शोषण के बारे में खुलकर बता रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व वेटलिफ्टर और डब्ल्यूडब्ल्यूई रेसलर कविता दलाल ने भी पहलवानों का समर्थन किया है और अपने करियर में हुई एक घटना के बारे में बताया है। जिसकी वजह से उन्होंने वेटलिंफ्टिंग छोड़कर रेसलिंग की ओर रुख कर लिया।
कविता दलाल के साथ भी हुआ था शोषण
डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने वाली भारत की पहली महिला रेसलर कविता दलाल ने पहलवानों के इस प्रदर्शन पर बात करते हुए अपने करियर का एक काला सच सबके सामने रखा है। कविता दलाल ने पहलवानों का समर्थन करते हुए कहा कि कई खेलों के फेडरेशन्स में खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार होता है। उन्होंने अपने साथ हुए शोषण के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा कि, साल 2008 में मेरे सामने भी एक ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी। जिसके बाद मुझे वेटलिफ्टिंग छोड़नी पड़ी और रेसलिंग की ओर रुख करना पड़ा। यह घटना साल 2008 की है जब वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अध्यक्ष हरभजन सिंह थे। उस दौरान उन्होंने मुझे प्रताड़ित किया था। लेकिन मैं उन परिस्थितियों से बाहर निकलने में सक्षम थी। उस समय इस मामले को लेकर मुझमे बोलने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन उनका शिकार बनने से मैं अपने आपको बचा पाई इसके लिए मैं अपने आप को भाग्यशाली समझती हूं।
कविता ने बताया खेल फेडरेशन का सच
कविता दलाल ने आगे कहा कि, सभी खेल संघो में खिलाड़ियों के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। दुनिया भर में अपना नाम बना चुके बड़े खिलाड़ियों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार होता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि युवा खिलाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा। उन्होंने यह भी कहा कि खेल फेडरेशन में लड़कियों को खासकर निशाना बनाया जाता है और उन्हें जानबूझकर परेशान किया जाता है। लेकिन अब समय आ गया है कि फेडरेशन द्वारा खिलाड़ियों के साथ किए जा रहे इस प्रकार के व्यवहारों पर रोक लगाई जाए।