नारी शक्ति वंदन बिल: 10 बार पास होते होते रह गया था महिला आरक्षण विधेयक बिल, जानिए कब-कौन सा नेता बना था रोड़ा

  • महिला आरक्षण विधेयक को सबसे पहले देवगौड़ा सरकार ने पेश किया
  • 1998 में अटल सरकार इस बिल को पेश करने में सफल रही
  • यूपीए सरकार साल 2010 में राज्यसभा में इसे पारित कराने में सफल रही

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-19 09:41 GMT

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। विशेष सत्र के दूसरे दिन नए संसद भवन में आज महिला आरक्षण बिल पेश किया गया । 27 साल पहले संसद में लाए गए इस बिल की यात्रा बहुत कठिन रही है। महिला आरक्षण विधेयक को सबसे पहले सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने संसद में पेश किया था। इसके बाद से कई बार सरकारों ने इस विधेयक को पारित करने की कोशिश की।

बता दें यूपीए सरकार साल 2010 में राज्यसभा में इसे पारित कराने में सफल रही लेकिन लोकसभा में यह बिल लटका रहा। आइए जानते हैं इस बिल की यात्रा के बारे में.....

महिला आरक्षण बिल की 27 सालों की यात्रा

1.महिला आरक्षण बिल को लेकर पहला कदम यूनाइटेड फ्रंट की देवगौड़ा सरकार ने उठाया था। 1996 में सरकार इस विधेयक को लेकर आई थी। लेकिन सरकार को समर्थन देने वाली कई पार्टियों ने विरोध किया। बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया।

2. 13 जुलाई 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की एनडीए सरकार ने लोकसभा में बिल पेश करने की कोशिश की, लेकिन आरजेडी सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव ने बिल की कॉपी को फाड़ दिया।

3.14 जुलाई को 1998 को फिर से लोकसभा में बिल को दोबारा पेश करने की कोशिश की लेकिन हंगामें और विरोध के कारण पेश नहीं हो सका।

4. 11 दिसंबर 1998 को लोकसभा में बिल को पेश करने की कोशिश की गई लेकिन सपा सांसद दरोगा प्रसाद स्पीकर के पोडियम तक पहुंच गए।

5. 23 दिसंबर 1998 में अटल सरकार इस बिल को पेश करने में सफल रही। लेकिन जेडीयू ने विरोध कर दिया और यह बिल पारित नहीं हो पाया।

6. साल 2000 में अटल सरकार बिल को सदन में पेश करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।

7.साल 2002 में एनडीए सरकार ने बिल को पेश करने की कोशिश की लेकिन असफल रही।

8. जुलाई 2003 में बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने सर्वदलीय मीटिंग कर आम सहमति बनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

9. साल 2008 में मनमोहन सरकार ने 6 मई को राज्यसभा में विधेयक पेश किया उस समय भी सदन में खूब हंगामा हुआ। स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया।

10. साल 2010 में राज्यसभा में विधेयक पेश किया गया और दो तिहाई बहुमत से पारित हो गया। लेकिन लोकसभा में यह बिल पास नहीं हो पाया था।

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