सोशल मीडिया की मदद से नरेंद्र मोदी से लेकर ट्रंप सभी हुए सत्ता पर काबिज! जानिए कैसे आपके विचार बदल देते हैं ये प्लेटफॉर्म?
- सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत
- सोशल मीडिया की मदद से ट्रंप ने अमेरिका में मारी थी एंट्री
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सोशल मीडिया आज के दौर में अपनी पैठ बना चुका है। जितना यह सकारात्मक है कई बार उतना ही नकारात्मक भी साबित हो रहा है। आज (13 मई) को एक खबर सामने आई की भारत सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान कुछ ट्विटर अकाउंट्स बैन करने की मांग की थी। जिसका खुलासा खुद ट्विटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी ने किया है। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म हो चुका है जिसका उपयोग नकारात्मक से लेकर सकारात्मक तक के रूप में किया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग बीते कुछ सालों में देश से लेकर दुनिया की तमाम सरकारों ने भरपूर उपयोग किया है। जिसकी वजह से कई बार उनके पक्ष में फैसले भी आए हैं। तो आइए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके सत्ता में आने वाले कुछ चर्चित चेहरों और पार्टियों के बारे में जानते हैं। जिन्होंने सोशल मीडिया का उपयोग बड़ी सहजता से कर सत्ता का सुख भोगा।
साल 2019 का आम चुनाव
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया का बखूबी उपयोग किया गया। कांग्रेस -बीजेपी ने इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक खूब पसीना बहाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी फर्स्ट टाइम वोटर्स ने सोशल मीडिया से प्रभावित होकर वोट किए थे। रिपोर्ट की मानें तो, 40 फीसदी युवाओं ने माना कि उन्होंने सोशल मीडिया से प्रभावित होकर अपनी मन पसंद पार्टी को वोट करा। इसके अलावा साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान 14 लाख नए वोटर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉम पर नेताओं के भाषण को सुनत हुए चुनाव में वोट करा था।
इसके बाद से जानकार ये मानने लगे हैं कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव ही क्यों आने वाले जितने भी अब चुनाव होंगे अब सोशल मीडिया के माध्यम से ही लड़े जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल इंडिया में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं। जो काफी बड़ी संख्या होती है। इसी बात का ख्याल रखते हुए तमाम दल सोशल मीडिया का बढ़ चढ़कर उपयोग कर रहे हैं।
अमेरिका में सोशल मीडिया का प्रभाव
साल 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग किया था। उस समय ट्रंप के खिलाफ राष्ट्रपति के मैदान में हिलेरी क्लिंटन थीं। जिनके विरोध में ट्रंप जुबानी हमले के बजाय सॉफ्ट तरीका अपनाया था। कहा जाता है कि ट्रंप ने बड़ी शातिर तरीके से अपने प्रतिद्वंदी हिलेरी को मात दी थी। जानकारी के मुताबिक, कैंब्रिज एनालिटिका नाम की एक कंपनी ने इन सब में ट्रंप की काफी मदद की थी। उन दिनों तमाम बड़े-बड़े अखबारों में छपा था कि, ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में जिताने के लिए कैंब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक से डेटा चुराकर यूजर्स के पास ट्रंप को लेकर खूब चुनाव प्रचार किया। जिसमें वो पूरी तरह सफल भी रहा। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ट्रंप ने कंपनी के साथ साठ गांठ करते हुए सभी सोशल मीडिया यूजर्स के डेटा को चुरा कर उनके पास मैसेज भिजवाए थे, ट्रंप के फेवर में वीडियो और मैसेज के जरिए वोटर्स को इमोशनल ब्लैकमेल भी किया गया था। साथ ही ट्रंप की प्रतिद्वंदी हिलेरी के खिलाफ फेक वीडियो और उनके विरोध में न्यूज सर्कुलेट किए गए ताकि वोटर्स में गलत छवि बनाई जा सके। जिसमें कंपनी सफल भी हुई और ट्रंप अच्छे मार्जिन से जीत कर अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे।
सोशल मीडिया की ताकत कितनी?
दरअसल, सोशल मीडिया की ताकत इतनी है कि यह आम को खास और खास को आम बना सकता है। तो आइए कुछ प्वाइंट्स से जानते हैं कि आखिर राजनेता और सियासी दल सोशल मीडिया पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं।
- एक जगह रहते हुए अपनी बात को बड़े स्तर पर आसनी से पहुंचाई जा सकती है।
- राजनीतिक दल अपने धुर विरोधियों को धराशायी करने के लिए सोशल मीडिया को अपनाते हैं।
- राजनेताओं का सोशल मीडिया पर इसलिए जोर क्योंकि एक स्थान पर रहकर प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर बैठे लोगों को अपने पक्ष में लाया जा सकता है।
- सोशल मीडिया लोगों के विचार बदलने में काफी अहम रोल निभाता है।
- यह युवाओं के मस्तिष्क पर बड़ा तेजी से प्रभाव डालता है।