एमपी चुनाव 2023: क्या बीजेपी से विंध्य का मोहभंग, 2018 में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें देने वाला विंध्य क्षेत्र क्यों इस बार साबित हो रहा है टेढ़ी खीर?
- मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होंगे विधानसभा चुनाव
- विंध्य क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस के बीच संघर्ष जारी
- पिछले चुनाव में कांग्रेस को हुआ था विंध्य में हुआ था नुकसान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में 20 दिनों का समय बचा है। राज्य के हर क्षेत्र में सभी पार्टियों की ओर से रैली और जनसभाएं जारी है। लेकिन विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस की पैनी नजर बनी हुई है। क्योंकि, पिछले चुनाव में यहां पर पार्टी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। जहां एक तरफ बीजेपी विंध्य क्षेत्र में अपनी जीत को दोहराने में लगी हुई है। वहीं, आम आदमी पार्टी भी इस क्षेत्र में दबे पांव एंट्री करने की फिराक में लगी हुई है। ऐसे में आइए जानते हैं कि यहां पर अब तक की राजनीतिक समीकरण किस आधार से रही है और क्यों सभी पार्टी इस क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने में लगी हुई है। साथ ही, राज्य की दो सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस को यहां पर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कितना महत्वपूर्ण है विंध्य?
उत्तर प्रदेश से सटे विंध्य क्षेत्र के अंतर्गत राज्य की कुल 30 विधानसभा सीटें आती है। इसमें मध्य प्रदेश के 9 पूर्वी जिले रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज शामिल हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी को यहां पर कुल 30 में से 24 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं, पिछले चुनाव में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका इसी क्षेत्र से लगा था। तब पार्टी को केवल 6 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा था।
'आप' को विंध्य क्षेत्र से आस
एमपी के विंध्य क्षेत्र को नए राजनीतिक विचारों के लिए भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में नए राजनीतिक विचारों को अपनाने का भी एक अपना इतिहास रहा है। बसपा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के कई उम्मीदवार यहां से विधायक और सांसद भी बने हैं। 1991 में पहली बार एमपी से बसपा ने इसी क्षेत्र से अपने प्रत्याशी को लोकसभा पहुंचाया था। इसलिए भी नई पार्टियां मध्य प्रदेश की सियासत में एंट्री करने के लिए विंध्य क्षेत्र को टारगेट करती है। पिछले साल आम आदमी पार्टी को इसी क्षेत्र से बड़ी सफलता मिली। जब नगरीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी की ओर से सिंगरौली की मेयर सीट पर रानी अग्रवाल ने जीत हासिल की। रानी अग्रवाल इस बार सिंगरौली विधानसभा सीट से मैदान में हैं। वह इस समय पार्टी की ओर से राज्य इकाई की अध्यक्ष भी हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब के सीएम भगवंत मान के साथ इस क्षेत्र में दो बार दौरा कर चुके हैं। 'आप' ने अब तक राज्य की 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। जिनमें से 17 विंध्य में हैं। सीएम भगवंत मान आप उम्मीदवारों के समर्थन में अलग से कई बार सार्वजनिक बैठकें भी की हैं।
विंध्य में बीजेपी के सामने परेशानी
इस क्षेत्र के मैहर विस सीट से पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी ने हाल ही बीजेपी से नाता तोड़कर नई पार्टी बनाई है। जिसका नाम उन्होंने विंध्य जनता पार्टी रखा है। उन्होंने विंध्य के सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। त्रिपाठी साल 2003 विस चुनाव में सपा की ओर से एमपी विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वे कांग्रेस की ओर से विधायक रहे। फिर उन्होंने साल 2015 के उप चुनाव में बीजेपी की ओर विधायक का चुनाव जीते। पिछले चुनाव में उन्होंने बीजेपी की ओर से मैहर सीट से चुनाव जीता है। लेकिन, वो बीते कई सालों से विंध्य की जनता के साथ मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भेदभाव किए जाने का आरोप लगाते रहे हैं। साथ ही, उन्होंने इस बार पार्टी को ठुकराकर खुद के उम्मीदवार उतारकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है।
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी ने विंध्य क्षेत्र में दो मौजूदा लोकसभा सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा है। ताकि जीत सुनिश्चित की जा सके। पार्टी ने सतना से सांसद गणेश सिंह और सीधी से सांसद रीति पाठक को विधानसभा चुनाव में उतारा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा भी अब तक तीन बार इस क्षेत्र में हो चुका है। पार्टी की कोशिश है कि यहां पर आम आदमी पार्टी और त्रिपाठी की ओर से हुए डैमेज कंट्रोल को कम किया जा सके।
इधर, कांग्रेस भी विंध्य की जनता को साधने में जुटी हुई है। वे पिछली हार से सबक लेते हुए इस बार बेहतरीन प्रदर्शन करने की कोशिश में है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के साथ दिग्गविजय सिंह भी इस क्षेत्र में पार्टी की रणनीति पर नजर बनाए हुए हैं।