Supreme court: टॉप कोर्ट ने तेलंगाना डीजीपी को लगाई फटकार, अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता को दूर करें पुलिस
- कोर्ट को तारीख नहीं बता पाया सरकारी वकील
- सर्वोच्च अदालत की सुनवाई में वर्चुअल जुडे डीजीपी
- अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच मतभेद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने तेलंगाना पुलिस महानिदेशक को एक मामले में नसीहत दी है। सुको ने सरकारी वकील को बसपा नेता के खिलाफ दायर की चार्जशीट की तारीख की जानकारी न होने के केस में तेलंगाना डीजीपी को फटकार लगाते हुए कहा कि डीजीपी अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच संवादहीनता को दूर करें। आपको बता दें सुको की इस सुनवाई में डीजीपी वर्चुअल रूप से पेश हुए थे।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने केस की सुनवाई करते हुए डीजपी डॉ. जितेंद्र से कहा कि क्रिमिनल केसों में कोर्ट को बार-बार उचित सहायता नहीं मिल रही है।
आपको बता दें बसपा नेता बीआरएस सरकार पर उनके आपराधिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। 1 अक्टूबर को जब न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा था, तब कोर्ट ने सरकारी वकील से चार्जशीट की तारीख को लेकर सवाल जवाब किया, इसका सरकारी वकील जवाब नहीं दे पाए। इस पर सर्वोच्च अदालत की पीठ ने माना था कि अभियोजन पक्ष और सरकारी वकील के बीच मतभेद है। पीठ ने तेलंगाना के डीजीपी को कोर्ट में पेश होने को कहा था। जिस पर डीजीपी वर्चुअल रूप से जुड़े ।
खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी नेता वट्टी जनैया यादव की पिटीशन पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसवीएन भट्टी ने कहा कि क्रिमिनल मामलों में हमें आपके राज्य से उचित सहायता नहीं मिल रही है। यह स्थिति ठीक नहीं है। जस्टिस रॉय ने कहा कि तेलंगाना के मामलों में ऐसा बार-बार हो रहा है। जवाब में डीजीपी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने चार्ज शीट में किसी डेट का जिक्र ना करके गलती की है। डीजीपी ने टॉप कोर्ट से जल्द से जल्द ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा। राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से माफी मांगी और कहा कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। पीठ ने डीजीपी को कोर्ट की ओर से बताई गई कमियों को लेकर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए।