संगठन को और मजबूती दिलाने भाजपा कर रही टिफिन पार्टी तो आदिवासी स्वाभिमान यात्रा से वोट प्रतिशत बढ़ाने में जुटी कांग्रेस

  • कांंग्रेस सीधी से शुरु करेगी आदिवासी स्वाभिमान यात्रा।
  • बीजेपी कर रही है टिफिन पार्टी।
  • साल के अंत में होंगे विधानसभा चुनाव।

Bhaskar Hindi
Update: 2023-07-22 12:21 GMT

डिजिटल डेस्क शहडोल।  2023 के विधानसभा चुनाव में संभाग की आठों सीटों पर अपना परचम फहराने भाजपा तथा कांग्रेस अब कोई भी मौका हाथ से नहीं देना चाहती हैं। बात संगठन की हो या मुद्दों को भुनाने की, दोनों दल एक-एक वोट का हिसाब लगाकर उसे अपने पक्ष में करने में जुट गये हैं। इसी कड़ी में इन दिनों भाजपा टिफिन पार्टी के नाम पर बैठकें आयोजित कर रही है। केंद्र में भाजपा सरकार के 9 साल पूरे होने पर आयोजित बैठक में पार्टी पदाधिकारियों ने सरकार की उपलब्धि पर चर्चा की तो इस बात पर भी ध्यान दिया गया इन उपलब्धियों को जनता तक कैसे पहुंचाकर लाभ में बदला जाए। दूसरी और कांग्रेस पार्टी आदिवासी स्वाभिमान यात्रा निकाल रही है। 19 जुलाई को सीधी से प्रारंभ हुई यह यात्रा शहडोल जिले के तीनों विधानसभा सीटों गुजरेगी। कांग्रेस पदाधिकारियों को विश्वास है कि इस यात्रा से आदिवासी समाज कांग्रेस से जुड़ेगा और उसके वोट प्रतिशत में इजाफा होगा। इस यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी स्थानीय मुद्दों को भी प्रमुखता से उठा रही है।

भाजपा : संगठन में बदलाव की उम्मीद

भाजपा में भले ही सब कुछ चुनावी मोड पर है, इस बीच कुछ कार्यकर्ताओं को अभी भी संगठन में बदलाव की उम्मीद है। ऐसे कार्यकर्ता उम्मीद का दामन थामे भोपाल की दौड़ लगाने से भी नहीं चूक रहे हैं। हालांकि पार्टी को करीब से जानने वाले कहते हैं कि चुनाव तक अब ज्यादा फेरबदल नहीं होने वाला।

कांग्रेस : गुटबाजी की दिल्ली तक शिकायत

कांग्रेस पार्टी के जिला संगठन से अभी भी एक तबका संतुष्ट नहीं है। ये लोग बीते दिनों दिल्ली तक पहुंचकर आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं। हालांकि इस आपत्ति का ज्यादा असर नहीं पड़ा और समन्वय समिति की बैठक में मुद्दे पर चर्चा करने की बात कहकर एक तरह से मामले को टाल दिया गया।

टिकट की उम्मीद और बायोडाटा

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, टिकट की उम्मीद लगाए प्रत्याशी बायोडाटा साथ लेकर चल रहे हैं। प्रत्याशी अपने बायोडाटा के कई सेट फोटोकॉपी करवा कर साथ में रख कर घूम रहे हैं। इस मुलाकात के क्रम में प्रत्याशी को जरा भी लगा कि किसी बड़े पदाधिकारी की टिकट दिलवाने में भूमिका हो सकती है तो उन्हे बायोडाटा देने से नहीं चूक रहे। इस दौरान बायोडाटा देने से पहले और बाद में पैर छूने की भारतीय परंपरा का भी बखूबी निर्वहन किया जा रहा है।

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