तीन दिशाओं में उत्तरप्रदेश से घिरे मध्यप्रदेश के सबसे छोटे जिले निवाड़ी में चुनावी मुकाबले को रोचक बनाती सपा-बसपा
- निवाड़ी में दो विधानसभा सीट
- दोनों पर भाजपा का कब्जा
- सपा-बसपा चुनावी मुकाबले को बनाती है कड़ा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के 52 वें जिले के रूप में 1 अक्टूबर 2018 को निवाड़ी जिला अस्तित्व में आया था। प्रदेश के सबसे छोटे जिले निवाड़ी में केवल दो विधानसभा सीटें ही है। छोटा जिला होने के बावजूद यहां राजनीतिक विद्वेष नेताओं के साथ साथ प्रशासनिक अधिकारियों के बीच बना रहता है। दलों के बीच यहां गुटबाजी खूब दिखाई देती है। निवाडी जिले में दो विधानसभा सीट आती है। निवाड़ी और प्रथ्वीपुर। कांग्रेस, बीजेपी के अतिरिक्त इलाके की राजनीति में बीएसपी और समाजवादी पार्टी भी मजबूत स्थिति में है। जिले की दोनों सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है।
पृथ्वीपुर विधानसभा सीट
2008 के परिसीमन के बाद पृथ्वीपुर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। 2008 के बाद से अब तक यहां तीन बार चुनाव हुए है। जिनमें दो बार 2008,2018 में कांग्रेस, और एक बार 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की है। लेकिन 2021 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन होने से हुए उपचुनाव में सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया है।
कुशवाहा, रैकवार, दलित और यादव समाज का वोट बैंक ज्यादा है। ऐसे में मुख्य रूप से चार समुदायों को अपने-अपने पक्ष में करने का हर राजनीतिक दल प्रयास करता है। विधानसभा सीट पर वर्ग अनुसार मतदाताओं की बात की जाए तो अनुसूचित जाति के मतदाता करीब 26 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 8 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के मतदाता करीब 48 है। वहीं सामान्य 18 प्रतिशत है। चुनावी मुद्दों की बात की जाए तो पानी की समस्या यहां की प्रमुख समस्या है। शिक्षा, स्वास्थ्य की यहां खस्ता हालात है। बढ़ती बेरोजगारी के चलते मजदूर परिवार यहां से पलायन कर जाते है। विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी भी अपना वर्चस्व रखती है।
2021 उपचुनाव डॉ बीजेपी से डॉ शिशुपाल यादव
2018 में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर
2013 में बीजेपी के अनीता सुनील नायक
2008 में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर
निवाड़ी विधानसभा सीट
उत्तरप्रदेश से सटी इस निवाड़ी विधानसभा सीट पर सपा-बसपा का असर दिखाई देता है। निवाड़ी विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। निवाड़ी में ओबीसी और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है।
2018 में बीजेपी के अनिल जैन
2013 में बीजेपी के अनिल जैन
2008 में सपा की मीरा यादव
2003 में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर
1998 में निर्दलीय बृजेंद्र सिंह राठौर
1993 में निर्दलीय बृजेंद्र सिंह राठौर
1990 में जेडी से विक्रम सिंह
1985 में कांग्रेस से राम रतन चतुर्वेदी
1980 में कांग्रेस से राम रतन चतुर्वेदी
1977 में जेएनपी से गौरी शंकर शुक्ला