असली NCP की जंग खत्म!: चुनाव आयोग से शरद पवार को लगा बड़ा झटका, अजित गुट को मिला असली एनसीपी का टैग

  • अजित गुट असली एनसीपी- EC
  • शरद पवार को लगा बड़ा झटका
  • अजित पवार के पास रहेगा घड़ी का चुनाव चिन्ह और पार्टी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-06 14:19 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय चुनाव आयोग से दिग्गज नेता शरद पवार को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को ही असली एनसीपी करार दिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक, अजित पवार गुट के पास ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का नाम और चुनाव चिन्ह रहेगा। साथ ही, आयोग ने बुधवार शाम चार बजे तक शरद पवार को नई पार्टी गठन करने के लिए तीन नाम देने को कहा है।

शरद पवार गुट और अजित पवार गुट में असली शिवसेना कौन है? इसे लेकर छह महीने से ज्यादा समय तक खींचतान चला। इसके बाद आज यानी मंगलवार को 10 से अधिक सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने अपना अंतिम फैसला सुनाया। जिसमें अजीत पवार के पक्ष में फैसला आया। चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) करीब छह बाद बड़ा फैसला सुनाया है।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष का बड़ा बयान

NCP के नाम और चुनाव चिह्न के मामले में चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने पर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा, "हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं। किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए चुनाव चिह्न महत्वपूर्ण होता है। हो सकता है कि कल इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में चुनौती दी जाए। इसमें हमें कुछ कहना नहीं है। हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं।"


शिवसेना(UBT) का बड़ा बयान

चुनाव आयोग द्वारा अजीत पवार के पक्ष में फैसला सुनाए जाने पर शिवसेना(UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मैं बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हूं। एक व्यक्ति जिस पर 70,000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। आज वह बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अजीत पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। यह संविधान की अनुसूची 10 की भावना के खिलाफ है।"

जानें पूरा मामला

पिछले साल जुलाई महीने में अजित पवार अपनी पार्टी के 40 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद गठबंधन सरकार में उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया। शरद से बगावत के बाद अजित पवार ने दावा किया था कि पार्टी का बहुमत उनके पास है। ऐसे में पार्टी का नाम और सिंबल उनके पास ही रहना चाहिए। इसके बाद शरद पवार ने पार्टी छोड़कर जाने वाले 9 मंत्रियों समेत 31 विधायकों को अयोग्य करने की मांग की थी।

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