पहली प्रतिक्रिया: BJP से तनातनी की खबरों पर RSS ने तोड़ी चुप्पी, बताया किस बात को लेकर है नाराजगी

  • भाजपा-आरएसएस की बीच तकरार की खबरें
  • आरएसएस नेता सुनील आंबेकर ने दिया बयान
  • कहा - यह उनका 'पारिवारिक मामला'

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-03 04:05 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते कई दिनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के बीच तनातनी की खबरें तूल पकड़ती जा रही है। जिससे सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार गरमाया हुआ है। इन खबरों पर आखिरकार आरएसएस ने चुप्पी तोड़ दी है। संघ ने सोमवार को यह बात स्वीकार की है कि भाजपा और आरएसएस के बीच कुछ मतभेद उत्पन्न हुए हैं। हालांकि, संघ की ओर से इसे उनका 'पारिवारिक मामला' बताया गया है। इसके अलावा आरएसएस ने यह भी कहा कि जिस भी चीज को लेकर विवाद है, उसे बैठकर सुलझा लिया जाएगा।

केरल में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर शामिल हुए थे। इस दौरान उनसे भाजपा और आरएसएस में समन्वय की कमी को लेकर सवाल पूछा गया। जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "आरएसएस के 100 साल पूरे हो रहे हैं। यह एक लंबी यात्रा है। लंबी यात्रा में कार्यात्मक मामले सामने आते हैं। हमारे पास उन कार्यात्मक मुद्दों को दूर करने के लिए एक मैकेनिज्म है। हमारी औपचारिक और अनौपचारिक मुलाकातें चलती रहती हैं। आप 100 साल का इतिहास देख लीजिए, यही इन सभी सवालों का जवाब है।"

भाजपा से अनबन पर कही ये बात

बता दें, केरल के पलक्कड़ में तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक आयोजित हुई थी। इस बैठक के आखिर दिन सुनील आंबेकर ने मीडिया से चर्चा की थी। उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया था कि इस बैठक में समन्वय के मुद्दों और हाल के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान के बाद आरएसएस कैडर के उत्साह में कमी पर मंथन किया गया। बता दें, लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा ने बयान दिया था। इस बयान में उन्होंने कहा था कि भाजपा अब 'आत्मनिर्भर' हो चुकी है। अब उसे किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं है।

नड्डा के इस बयान के बाद से ही भाजपा और आरएसएस के बीच तनातनी की खबरें आना शुरू हो गई थी। इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने आंबेकर के हवाले से एक खबर प्रकाशित की थी। जिसमें उन्होंने कहा था, "अन्य मुद्दों को भी सुलझा लिया जाएगा। ये पारिवारिक मामला है। तीन दिवसीय बैठक हुई है और सभी ने भाग लिया है। सब कुछ ठीक चल रहा है।" हालांकि, आंबेकर ने आरएसएस-भाजपा के बीच तकरार पर सवाल उठाते हुए एक बार भी दोनों संगठनों के बीच कथित समन्वय की कमी को मानने से इनकार नहीं किया। ऐसा पहली बाह है जब आरएसएस ने खुले तौर पर भाजपा से अनबन की बात को कबूला है।

भाजपा-आरएसएस का उद्देश्य एक ही - सुनील आंबेकर

इसके बाद आरएसएस नेता ने कहा कि लक्ष्यों की बात करें तो भाजपा और संघ दोनों का उद्देश्य एक ही है। उन्होंने कहा, "लंबी यात्राओं में एक बात हमेशा सुनिश्चित होती है, आरएसएस का अर्थ है राष्ट्र सर्वोपरी। हर एक स्वयंसेवक मानता है कि राष्ट्र सनातन है, शाश्वत है। भविष्य में इसके बढ़ने की संभावना है। इसलिए, हम सभी देश की सेवा के लिए समर्पित हैं। यह आरएसएस का मूल आधार है और बाकी चीजें महज कार्यात्मक मुद्दे हैं। हर संगठन इस पर विश्वास करता है और इसका अभ्यास करता है।"

इस दौरान जब सुनील आंबेकर से पूछा गया कि क्या भाजपा को संगठन स्तर पर पर्याप्त आरएसएस प्रचारक नहीं मिल पा रहे हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "बीजेपी में बहुत सारे आरएसएस स्वयंसेवक और प्रचारक हैं। यहां तक ​​कि अब भी, तो यह मुद्दा कैसे उठता है? किसी प्रचारक को कैसे और कहां रखना है, यह आरएसएस तय करता है। उसके लिए बहुत सारे मानदंड हैं। यह एक अच्छी तरह से प्रचलित प्रणाली है। कोई समस्या नहीं है।"

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