यूपी में 69 हजार शिक्षकों मेरिट लिस्ट रद्द: हाईकोर्ट ने नए सिरे से रिजल्ट जारी करने का दिया आदेश, अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर कसा तंज

  • यूपी शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
  • मेरिट सूची को रद्द करने का फैसला सुनाया
  • सीएम अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर कसा तंज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-16 18:42 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूपी में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में हाईकोर्ट में बड़ा आदेश सुनाया है। इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में मेरिट सूची को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने परीक्षा के परिणाम को नए सिरे से जारी करने का आदेश सुनाया है। इसके मुताबिक बेसिक शिक्षा विभाग को तीन महीने के अंदर रिजल्ट नए सिरे से जारी करना होगा। हालांकि सरकार के पास हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प भी है।

इस मामले पर अब विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। सपा प्रमुख और कन्नौज से बीजेपी सांसद अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ''69000 शिक्षक भर्ती भी आख़िरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके। हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हकमारी या नाइंसाफी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएंगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाए।''

सपा प्रमुख ने इस मामले में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये भर्ती बीजेपी के घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार हो गई। उन्होंने आगे कहा कि उनके द्वारा नई मेरिट लिस्ट पर लगातार नजर रखेंगे।

अखिलेश यादव के अलावा राज्य सरकार में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का रिएक्शन भी सामने आया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ''माननीय उच्च न्यायालय ने 69000 शिक्षक भर्ती में उत्तर प्रदेश भा.ज.पा. सरकार द्वारा आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के लोगों के भर्ती घोटाले का संज्ञान लेते हुए 3 महीने के अन्दर आरक्षण नियमावली का पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया। हम पहले से ही 18000 पिछड़े वर्ग व अनु. जाति के आरक्षित पदों पर किए गये घोटाले का मुद्दा उठाते रहे हैं। इसीलिए माननीय उच्च न्यायालय के इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं. विश्वास है कि आरक्षित वर्ग के पीड़ित अभ्यर्थियों को अब न्याय अवश्य मिलेगा।''

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