राज्यसभा ने पारित किया आईआईएम संशोधन विधेयक
- भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक, 2023 पारित
- विधेयक के मुताबिक राष्ट्रपति, आईआईएम की विजिटर यानी कुलाध्यक्ष होंगी
- केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिया विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय प्रबंध संस्थान संशोधन विधेयक, 2023, मंगलवार को राज्यसभा में पारित हो गया। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि राष्ट्रपति, आईआईएम की विजिटर यानी कुलाध्यक्ष होंगी। विपक्ष ने मंगलवार दोपहर मणिपुर चर्चा की मांग को लेकर सदन सदन से वाक आउट किया। ऐसे में विपक्ष की गैर-मौजूदगी में यह महत्वपूर्ण विधेयक पारित किया गया। इसका लाभ मुंबई स्थित राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान को भी मिलेगा।
इस संस्थान को भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) का दर्जा दिया जा रहा है। इसके अलावा मंगलवार को राज्यसभा में 'नेशनल डेंटल कमिशन बिल' और 'नेशनल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी बिल' भी पारित किया गया।
वर्तमान में, आईआईएम के निदेशक की नियुक्ति 'सर्च कम सिलेक्शन कमिटी' की सिफारिशों के आधार पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा की जाती है। राज्यसभा में पारित किया गया यह विधेयक, बोर्ड को संस्थान का निदेशक नियुक्त करने से पहले विजिटर की मंजूरी लेने का आदेश देता है। निदेशक के चयन की प्रक्रिया केंद्र सरकार द्वारा नियत की जाएगी।
मंगलवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक के कारण मुंबई में भी आईआईएम होगा। शिक्षा मंत्री ने बताया कि विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि राष्ट्रपति आईआईएम की विजिटर यानी कुलाध्यक्ष होंगी। केंद्र के मुताबिक इस विधेयक से इन महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आईआईएम अपने पाठ्यक्रम और फैकल्टी के विषय में निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
आरक्षण प्रदान करने व केंद्र सरकार की मौजूदा आरक्षण नीति का उल्लेख करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि आरक्षण को लेकर संस्थानों की जवाबदेही भी होनी चाहिए। शिक्षा मंत्री ने स्वायत्तता का समर्थन किया लेकिन उन्होंने कहा कि इसी के साथ जिम्मेदारियों का निर्वहन भी किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा ऐसा करने पर ही सामाजिक न्याय के सिद्धांत का पालन हो सकेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आईआईएम की विश्वसनीयता और विश्व भर में इन संस्थानों की ख्याति का उल्लेख किया। शिक्षा मंत्री के मुताबिक सरकार चाहती है कि देशभर के आईआईएम संस्थान स्वयं अपना पाठ्यक्रम तैयार करें, राजस्व अर्जित करें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इन संस्थानों की मदद भी करती है और सरकार ने आईआईएम पर 6,000 करोड़ रूपये खर्च किए हैं।
भाजपा के राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय औद्योगिक इंजीनियरिंग संस्थान को आईआईएम का दर्जा मिलने जा रहा है, जिससे वह डिग्री प्रदान करने में सक्षम होगा।
वाईएसआर कांग्रेस के वी विजय साई रेड्डी ने कहा कि आईआईएम संस्थानों की संख्या में तो वृद्धि हो रही है लेकिन बजट में उस अनुपात से वृद्धि नहीं हुई है। उन्होंने सभी 20 आईआईएम संस्थानों के बजट निवृत्ति की मांग सरकार के समक्ष रखी। साथ ही यह भी कहा कि आईआईएम में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, जिससे छात्र की शिक्षा प्रभावित हो रही है। हालांकि उन्होंने इस विधेयक को अपना समर्थन दिया है।
वहीं अन्नाद्रमुक पार्टी के राज्यसभा सांसद एम थंबीदुरई ने आईआईएम जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थानीय छात्रों को वरीयता देने की बात सदन के समक्ष रखी। विधेयक का समर्थन करते हुए थंबीदुरई में उच्च शिक्षण संस्थानों की फीस का भी जिक्र किया और कहा कि ऐसे शिक्षण संस्थानों की फीस काफी अधिक है।
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