लोकसभा चुनाव 2024: नामांकन भरते समय खड़े थे पीएम मोदी, रिटर्निंग ऑफिसर बैठे रहे, जानिए क्यों कैंडिडेट्स के सामने नहीं खड़े होते आरओ?
- देश में 1 जून को लोकसभा चुनाव का सातवां चरण
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी सीट से भरा नामांकन
- जानिए क्यों प्रत्याशी के सामने नहीं खड़े होते आरओ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं। मंगलवार को वे जब नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे, तो इस दौरान वे खुद खड़े रहे, जबकि रिटर्निंग अफसर बैठे हुए थे। आइए जानते हैं कि क्यों कोई रिटर्निंग अफसर किसी भी प्रत्याशी के सामने खड़े नहीं होते?
बता दें कि, नामांकन भरने से पहले पीएम मोदी ने काल भैरव के दर्शन किए और दशाश्वेध घाट पर पूजा की। नामंकन दाखिल करते वक्त प्रधानमंत्री मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह ,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मोजूद रहे।
गौर करने वाली बात यह है कि जब प्रधानमंत्री नामांकन पत्र दाखिल कर रहे थे तो वह खड़े हुए थे, लेकिन रिटर्निंग अफसर कुर्सी पर ही बैठे हुए थे। आपको बता दें, यह कोई आश्चर्य करने वाली बात नहीं है। प्रधानमंत्री की जगह कोई और प्रत्याशी भी होता तो भी रिटर्निंग अफसर बैठे ही रहते हैं। असल में, यह एक तरह का प्रोटोकॉल होता है। जिसमें नामांकन करने के लिए कोई दिग्गज नेता भी क्यों न आ जाए, उनके सम्मान में रिटर्निंग ऑफिसर कभी खड़ा नहीं हो सकता।
क्यों नहीं खड़े होते रिटर्निंग अफसर?
चुनाव में जिस जिले में रिटर्निंग अफसर की ड्युटी लगती है वह उस जिले का मुख्य चुनाव अधिकारी होता है। जबकि, कोई भी व्यक्ति एक प्रत्याशी की हैसियत से नामांकन भरने आया होता है। तो फिर चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो, उनके सामने रिटर्निंग अफसर बैठे ही रहते हैं। चुनाव के दौरान केवल रिटर्नंग ऑफिसर के पास ही कानूनी शक्ति होती है और उन पर कोई भी हुकुम नहीं चलाया जा सकता है। प्रोटोकॉल के मुताबिक नामांकन प्रक्रिया के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर को अपनी कुर्सी पर ही बैठे रहना होता है। उदाहरण के लिए जैसे कोर्ट में कितना ही बड़ा नेता या मंत्री क्यों न पेश हो, जज कभी अपनी कुर्सी से खड़े नहीं होते है।
कौन होता है रिटर्निंग अफसर?
जनप्रतिनिधि कानून की धारा 21 और 22 के मुताबिक, निर्वाचन आयोग हर सीट पर एक रिटर्निंग ऑफिसर और एक असिस्टेंट रिटर्निंग अफसर को नियक्त करता है। रिटर्निंग अफसर गजट नोटिफिकेशन जारी करने से लेकर चुनाव के नतीजे आने के बाद जीते हुए प्रत्याशी को सर्टिफिकेट जारी करने तक का काम करता है। एक प्रकार से रिटर्निंग ऑफिसर कलेक्टर या मजिस्ट्रेट ही होता है। वे चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह जारी करते हैं, उनके एफिडेबिट पब्लिश करते हैं, मतदान के लिए ईवीएम और वीवीपैट को तैयार करते हैं। इसके साथ ही वोटों की गिनती करवाते हैं और नतीजे भी घोषित करते हैं। कुल मिलाकर वह रिटर्निंग ऑफिसर ही होते हैं जिनकी मदद से चुनाव आयोग बेहतर ढंग से चुनाव को संपन्न कराते हैं। रिटर्निंग अफसर की नियुक्ति तीन साल के लिए होती है। चुनाव के समय उनके पास पूरी शक्ति होती है। आरओ के सामने सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक ही नामांकन पत्र भरा जा सकता है।
वाराणसी में कब है चुनाव?
उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट पर अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है। वाराणसी सीट पर पिछले 10 साल से बीजेपी का कब्जा है। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था। उस समय उनके सामने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के अजय राय थे। उस चुनाव में अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार और अजय राय को 75 हजार वोट मिले थे।
इसके बाद साल 2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरी बार यहां से चुनाव लड़ा था। जिसमें उन्होंने 6 लाख 74 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। उनके बाद दूसरे नंबर पर समजावादी पार्टी की प्रत्याशी शालिनी यादव रहीं जिन्हें कुल 1 लाख 95 हजार वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के अजय राय को 1 लाख 52 हजार वोट प्राप्त हुए थे।
इस बार के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने पीएम मोदी के सामने एक बार फिर अजय राय को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि बहुजन समाज पार्टी से अजहर जमाल लारी चुनावी मैदान में हैं।