बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अपने इस दांव से बिहार का रण जीतेंगे पीके, आरजेडी और जेडीयू को पहुंचाएंगे तगड़ा नुकसान

  • बिहार में सियासी जमीन तैयार कर रहे प्रशांत किशोर
  • आरजेडी और जेडीयू के आधार वोटर को छीनने की बनाई रणनीति
  • डीईएम फॉर्मुले के तहत पहुंचाएंगे नुकसान

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-07 13:56 GMT

डिजिटल डेस्क, पटना। जन सुराज अभियान के संस्थापक और प्रसिद्ध चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वह राज्य में उन समुदायों पर ध्यान दे रहे हैं जो लंबे समय से आरजेडी और जेडीयू का बड़ा वोट बैंक रहे हैं। आइए समझने की कोशिश करते हैं उस रणनीति को जिसके जरिए पीके बिहार में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं।

जेडीयू और राजद पर साधा निशाना

पीके ने सीएम नीतीश कुमार की पार्टी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जेडीयू वो टायर है जो पहले ही पंक्चर हो चुका है। वहीं आरजेडी इस लायक नहीं बची है कि अपनी दम पर चुनाव जीत सके। उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव मुख्य मुकाबला उनकी पार्टी और बीजेपी नीत एनडीए के बीच होगा।

पीके के लालू यादव की आरजेडी पर मुस्लिम समुदाय को धोखे देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरजेडी के लिए मुस्लिम समुदाय एक ईंधन के जैसा है। हालांकि अब वे आरजेडी को समझ चुके हैं। वो जान चुके हैं कि आरजेडी ही वो पार्टी है जिसने उन्हें धोखे में रखा है और सालों से अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए उनका बस शोषण किया है।

हाल ही में इसकी झलक उनके उस फैसले में नजर आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी के तीन अध्यक्ष डीईएम से होंगे। मतलब पहला पार्टी अध्यक्ष दलित, दूसरा अतिपिछड़ा और तीसरा मुस्लिम समुदाय से होगा। सियासी जानकार पीके के इस दाव को अलग-अलग तरीके से देख रहे हैं। कुछ इसे पीके का दोहरा चरित्र बता रहे हैं तो कोई इसे आरजेडी और जेडीयू के वोटबैंक में सेंधमारी करने की टेक्नीक बता रहे हैं।

बता दें कि बिहार में डीईएम आरजेडी और जेडीयू का सबसे मजबूत वोट बैंक रहा है। बिहार में मुस्लिम वोटर्स 17.70 फीसदी हैं जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हालांकि बीते कुछ चुनावों पर नजर डालें तो आरजेडी का आधार वोटर कहलाने वाले मुस्लिम समुदाय ने उनके खिलाफ वोट किया है।

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