अविश्वास प्रस्ताव पर पास होने या गिरने का क्या है नंबर गेम, समझिए प्रस्ताव की A to Z पूरी प्रक्रिया
- क्यों लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव
- अविश्वास प्रस्ताव में चर्चा के बाद होती है वोटिंग
- बहुमत साबित न होने पर क्या गिरेगी सरकार ?
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के बनाए जाने के बाद से ही विपक्ष गर्मजोशी में नजर आ रहा है। विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं। अविश्वास प्रस्ताव को 2024 का ट्रेलर माना जा सकता है। ऐसे हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस प्रस्ताव में पूरी तरह से साफ हो जाएगा कि कौन किस खेमे में जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव में आज से बहस शुरू हो गई है।
बता दें कि पीएम मोदी के कार्यकाल में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। हालांकि, सत्ताधारी सरकार को विपक्ष के इस अविश्वास प्रस्ताव से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। लेकिन विपक्ष इस प्रस्ताव के माध्यम से मणिपुर हिंसा मामले में मोदी सरकार को संसद में घेरना चाहती है।
आइए जानते हैं अविश्वास प्रस्ताव के बारे में, यह कैसे लागू होता है और क्यों लाया जाता है?
क्या है अविश्वास प्रस्ताव?
अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा लाया जाता है। जिसमें विपक्ष सरकार के खिलाफ किसी विशेष मुद्दे पर नाराजगी दर्शाता है। जैसे इस बार मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर है। इस प्रस्ताव को लाने से पहले लोकसभा सांसद उस मुद्दे को लेकर नोटिस देता है। इस नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन मिलना आवश्यक होता है।
इस बार सदन में लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर गौरव गोगोई ने नोटिस दिया है जिसे 50 सांसदों का समर्थन मिला है। अब दोनों पक्षों के बीच संसद में बहस होगी जिस पर सरकार को जवाब देना होगा जिसके बाद वोटिंग होगी।
किस नियम के तहत लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव?
अविश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ नियम 198 के तहत पेश किया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में न्यूनतम 50 सदस्यों का होना आवश्यक है। यदि इतने सांसद न हों तो अध्यक्ष प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं देते। लोकसभा स्पीकर की अविश्वास प्रस्ताव पर मंजूरी और प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अंदर इस पर चर्चा कराई जाती है।
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर क्या है नियम?
जब लोकसभा में किसी भी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है या सरकार के पास बहुमत नहीं है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। इस प्रस्ताव को No Confidence Motion भी कहते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-75 में स्पष्ठ किया गया है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। यानि इस सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्रिपरिषद बनी रह सकती है।
अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग से गिर जाती है सरकार?
अविश्वास प्रस्ताव के पेश होने के 10 दिनों के अंदर ही चर्चा कराना जरूरी होता है। जिसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव में सदन में मौजूद सदस्यों में आधे से एक अधिक सदस्य ने भी यदि सरकार के खिलाफ वोट दे दिया तो सरकार गिर जाती है। यानि अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है।
संख्या बल न होने पर भी विपक्ष ने क्यों लाया अविश्वास प्रस्ताव?
विपक्ष इस बात को जानता है कि सदन में उसके साथ संख्या बल नहीं है। लेकिन इसके बाद भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है। दरअसल, विपक्ष मणिपुर मामले को लेकर बहस करने के साथ पीएम मोदी की जवाबदेही तय करने की मांग कर रहा है। विपक्ष चाहता है कि इस मामले पर पीएम मोदी संसद में जवाब दें। इसी वजह से विपक्षी एकता गठबंधन ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। साथ ही कांग्रेस ने कहा कि लोगों का भरोसा सरकार से टूट रहा है, हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर हिंसा पर कुछ बोलें लेकिन वह बात ही नहीं सुनते। विपक्ष लगातार पीएम मोदी पर आरोप लगाता रहा है कि वह कई अहम मुद्दों पर मौन साध लेते हैं।
विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाकर पीएम मोदी को बोलने पर मजबूर कर रहा है। विपक्ष की यह साबित करने की कोशिश होगी के विपक्षी एकता ने पीएम मोदी को गंभीर मुद्दों पर जवाब देने पर मजबूर कर दिया। विपक्ष इस प्रस्ताव के जरिए साबित करना चाहती है कि मणिपुर मामले पर सरकार नाकााम साबित हुई है। साथ ही अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष न केवल पीएम को बोलने पर मजबूर करना चाहता है बल्कि सदन में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की ताकत भी दिखाना चाहता है।
लोकसभा में नंबर गेम का गणित क्या है?
लोकसभा में नंबर गेम को समझें तो यह मोदी सरकार के पक्ष में दिखाई देता है। बहुमत के लिए लोकसभा में 272 सांसदों की जरुरत है, जबकि बीजेपी के पास 301 सदस्य है वहीं सहयोगियों के साथ बीजेपी का आंकड़ा 329 तक चला जाता है। यानि नंबर गेम के हिसाब से बीजेपी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है।
क्या चाहता था विपक्ष?
विपक्ष मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर राज्यसभा में नियम 267 और लोकसभा में नियम 184 के तहत चर्चा कराने की मांग करता रहा है। लेकिन सरकार राज्य सभा में नियम 176 और लोकसभा में 193 के तहत चर्चा कराना चाहती थी।
बता दें राज्यसभा में नियम 267 और लोकसभा में नियम 184 के तहत सदन में लंबी बहस होती है साथ ही वोटिंग का कराने का भी प्रावधान होता है। नियम 267 के तहत संसद में चर्चा इसलिए मायने रखती है क्योंकि इस नियम के तहत होने वाली चर्चा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर होती है। जब सदन में इस नियम के तहत चर्चा होती है तो बाकी सारे काम रोक दिए जाते हैं। यानि दूसरे नजरिये से देखें तो एक तरह से पीएम को जवाब देने के लिए मजबूर करने जैसा है।