जाति सर्वेक्षण और सुप्रीम: बिहार की नीतीश सरकार को सार्वजनिक करना होगा जाति सर्वेक्षण का डेटा

  • मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी
  • आम नागरिक के पास होना चाहिए सर्वेक्षण का आंकड़ा
  • सर्वसम्मति से पारित हुआ था जाति सर्वेक्षण प्रस्ताव

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-02 12:59 GMT

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से बिहार में हुई जाति सर्वेक्षण को लेकर नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है। आपको बता दें बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने जाति आधारित सर्वेक्षण कराया है। इसे लेकर सुको में याचिका दायर की थी,  टॉप कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार से कहा कि जाति सर्वेक्षण का आंकड़ा सार्वजनिक किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी। 

1 जून 2022 को सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्मति से बिहार में जाति आधारित गणना कराए जाने का प्रस्ताव उस समय पारित हुआ था, जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार थी।  अब कोर्ट ने कहा कि जाति सर्वेक्षण का डेटा जनता को उपलब्ध नहीं कराए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है। कोर्ट का कहना है कि आम नागरिक सर्वेक्षण के किसी विशेष निष्कर्ष को चुनौती देना चाहता है तो उसके पास सर्वेक्षण का आंकड़ा होना चाहिए।

आपको बता दें बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आंशिक रूप से जारी किया था। रिपोर्ट में कुल 214 जातियों के आंकड़े जारी किए गए, 214 जातियों को अलावा 215वें नंबर पर अन्य जातियों का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत , पिछड़े वर्ग की आबादी 27 प्रतिशत से ज्यादा, अनुसूचित जाति करीब 20 फीसदी बताई गई थी।

आंकड़ों के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13,07,25,310 है। वहीं कुल सर्वेक्षित परिवारों की संख्या 2,83,44,107 है। इसमें पुरुषों की कुल संख्या छह करोड़ 41 लाख और महिलाओं की संख्या छह करोड़ 11 लाख है। राज्य में प्रति 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं। बिहार में 81.99 फीसदी हिंदू, 17.7% इस्लाम धर्म, शेष ईसाई सिख, बौद्ध, जैन या अन्य धर्म मानने वालों की संख्या 1% से भी कम है। राज्य के 2146 लोगों ने अपना कोई धर्म नहीं बताया।

आपको बता दें शीर्ष कोर्ट में पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।  जाति-आधारित सर्वेक्षण के फैसले को चुनौती वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने बीते 2 अगस्त, 2023 को अपने आदेश में बिहार सरकार के फैसले को कायम रखा गया था।   

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