इतिहास के पन्नों में गद्दार के नाम से दर्ज कौन था मीर जाफर, जिसकी राहुल गांधी से तुलना कर रही बीजेपी? ईस्ट इंडिया कंपनी को पहुंचाई थी बड़ी मदद

कौन था मीर जाफर? इतिहास के पन्नों में गद्दार के नाम से दर्ज कौन था मीर जाफर, जिसकी राहुल गांधी से तुलना कर रही बीजेपी? ईस्ट इंडिया कंपनी को पहुंचाई थी बड़ी मदद

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-21 08:05 GMT
इतिहास के पन्नों में गद्दार के नाम से दर्ज कौन था मीर जाफर, जिसकी राहुल गांधी से तुलना कर रही बीजेपी? ईस्ट इंडिया कंपनी को पहुंचाई थी बड़ी मदद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर इन दिनों भाजपा के तमाम नेता हमलावर हैं। वैसे तो राहुल के बयान पर हमेशा से ही घमासान मचता रहा है। लेकिन जब से लंदन में जाकर भारत में लोकतंत्र और देश की स्थित, सभी प्रतिष्ठित संस्थानों पर मौजूदा सरकार का नियंत्रण वाले बयान दिए हैं, तभी से सत्ताधारी पार्टी उनसे माफी मांगने की बात कर रही है। इन सब से इतर बीजेपी ने राहुल गांधी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल को आज के दौर में भारत की राजनीति का मीर जाफर बताया है। इसके अलावा उन पर आरोप लगाया है कि वो देश के नवाब बनने के लिए उलटे सीधे काम कर रहे हैं। हालांकि, राहुल गांधी को मीर जाफर से तुलना करने के बाद से ही सभी लोग इंटरनेट पर मीर जाफर का नाम सर्च कर रहे हैं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि ये जाफर किस बला का नाम है, जिसे लोग खूब सर्च कर रहे हैं।

कौन था मीर जाफर?

दरअसल, मीर जाफर को गद्दार और नकारा जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता है। इसी की वजह से भारत में अंग्रेजों और ईस्ट इंडिया कंपनी का उदय माना जाता है। मीर जाफर को इतिहास का सबसे ज्यादा मक्कार और धोखेबाज भी कहा गया है। इसने अपने ही नवाब को अंग्रेजों के हाथों से मारवा दिया और खुद ही बंगाल सूबे की सत्ता पर काबिज हो गया और कई सालों तक नवाब के पद पर आसीन रहा।

पीछे की ये कहानी

मीर जाफर बंगाल सूबे का नवाब बनना चाहता था लेकिन इसकी बागडोर नवाब सिराजुद्दौला के हाथ में था। बंगाल की चाह रखने वाले मीर जाफर अंग्रेजों के साथ अपना गठजोड़ करते हुए मौजूदा नवाब को हटाने की पूरी कोशिश करता रहा। जब उसको ये सफलता हाथ में नहीं लगी तब उसने अंग्रेजों से मिल कर अपने ही नवाब की हत्या करने का षड्यंत्र रचा। प्लासी युद्ध के दौरान जब अंग्रेजों और सिराजुद्दौला के बीच युद्ध शुरू हुई तो नवाब की सेना अंग्रेजों पर भारी पड़ती जा रही थी। लेकिन इसी युद्ध में नवाब के सबसे विश्वासपात्र और तत्कालिन सेनापति मीर मदान की मौत हो गई। जिसके बाद सिराजुद्दौला को कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसके लिए उन्होंने मीर जाफर से सलाह मांगी। इस मांग को लेकर जाफर ने मौके का फायदा उठाते हुए अंग्रेजी हुकूमत से सांठ-गांठ करके युद्ध रोकने की सलाह दी जिसके बाद सिराजुद्दौला ने युद्ध विराम करने का निर्णय लिया और पीछे हट गए।

धोखे से छीनी सत्ता

युद्ध को खत्म करके जब वो अपने सूबे यानी बंगाल की ओर रूख करने लगे तभी अचानक से अंग्रेजो ने उन पर धावा बोल दिया। एकदम से हमले होने की वजह से सिराजुद्दौला की सेना में भगदड़ मच गई जिसके बाद से तमाम सेना को अंग्रेजों ने मौत का घाट उतार दी थी और इसी हमले के शिकार बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला भी हो गए थे। 

नवाब सिराजुद्दौला की मौत के बाद अंग्रेजों की राय से मीर जाफर बंगाल का नवाब बना और उस पद पर कई सालों तक राज किया। बता दें कि, नवाज सिराजुद्दौला की मौत महज 24 साल की उम्र में ही हो गई थी।

मीर जाफर की छलकपट से सत्ता को अपने अधीन करना सदैव के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। इस नाम से लोग आज भी इतना घृणा करते हैं कि अपने बच्चों का नाम तक नहीं रखना पसंद करते हैं।

Tags:    

Similar News