वंदे भारत ट्रेन : डीजल से इलेक्ट्रिक इंजन में बदलना एक बड़ी चुनौती
नई दिल्ली वंदे भारत ट्रेन : डीजल से इलेक्ट्रिक इंजन में बदलना एक बड़ी चुनौती
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वंदे भारत ट्रेन के लिए रेलवे को अपने पूरे नेटवर्क में अधिक शक्ति का संचार करना होगा। वंदे भारत ट्रेन आम इलेक्ट्रिक ट्रेनों से डबल ऊर्जा की खपत करता है। इसीलिए रेलवे को अपने पूरे नेटवर्क में डीजल इंजन से इलेक्ट्रिक इंजन की तरफ ट्रांसफार्म हो रहे वंदे भारत के लिए बड़े बदलाव करने होंगे। बड़े-बड़े देशों में यह सिस्टम लागू कर दिया गया है जहां पर हाई स्पीड पैसेंजर ट्रेन चलती है। इन देशों में चीन, जापान, फ्रांस और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं। अगर हमारे पूरे नेटवर्क में वंदे भारत को चलाना है तो कहीं ना कहीं पूरे नेटवर्क में बड़े बदलाव करने होंगे और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा की जरूरत भी होगी।
दरअसल वंदे भारत ट्रेन को सामान्य ट्रेनों से दुगनी बिजली की आवश्यकता होती है। मौजूदा ओवरहेड उपकरण को एक्शन में एक साथ चलने वाली हाई स्पीड ट्रेन की भविष्य की मांग को पूरा करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए ओवरहेड तारों को अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है। अभी हाल में ही रेलवे ने 1140 करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली और मुगलसराय के बीच 1650 किलोमीटर के लिए टेंडर जारी किया है। रेलवे को 2023 तक 247 ब्रॉडगेज नेटवर्क को पूरी तरीके से बिजली नेटवर्क पर लाना है। इसी दिशा में फिलहाल रेलवे ने इस साल अप्रैल तक 65,414 किलोमीटर के मार्ग में से 52,247 किलोमीटर मार्ग पर यह सफलता हासिल की है।
16 कोच वाली शताब्दी ट्रेन में एक छोर पर लोकोमोटिव इंजन लगा होता है जो लगभग 6000 हॉर्स पावर प्रदान करती है। वहीं वंदे भारत ट्रेन में 8 मोटर चलित डिब्बे होते हैं जो ट्रेन को लगभग 12,000 हॉर्स पावर की शक्ति प्रदान करते हैं। इसीलिए वंदे भारत के लिए नेटवर्क पर काम करना एक बड़ी चुनौती है।
(आईएएनएस)
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