पहले से ही पलटीमार रहे हैं उपेंद्र कुशवाहा, इतनी बार बना चुके हैं नई पार्टी, एक बार फिर बिहार की सियासत में ला रहे हैं उबाल
कुशवाहा का सियासी सफर पहले से ही पलटीमार रहे हैं उपेंद्र कुशवाहा, इतनी बार बना चुके हैं नई पार्टी, एक बार फिर बिहार की सियासत में ला रहे हैं उबाल
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की सियासत अन्य राज्यों से काफी अलग मानी जाती है। यहां किस पार्टी के नेता कहां चले जाएं किसी को पता नहीं लगता, शायद इसी को राजनीति कहते हैं। दरअसल, बिहार की राजनीति से 20 फरवरी को एक बहुत बड़ी खबर आई। दरअसल, बिहार के कद्दावर नेता उपेंद्र कुशवाहा ने जनता दल यूनाइटेड को छोड़ एक बार फिर नई पार्टी बना ली है। जिसकी वजह से वो काफी सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले कुछ महीनों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके रिश्ते कुछ खास नहीं चल रहे थे। अटकलें यहां तक लगीं कि कुशवाहा जदयू छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया में आकर इन तमाम बातों को सिरे से नाकार दिया था। बता दें कि, कुशवाहा अपने राजनीतिक करियर में तमाम पार्टियों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं। आइए जानते हैं कि कुशवाहा कब-कब किन पार्टियों के साथ रहे और उन्हें कैसे छोड़ कर चले गए।
पलटी मार है उपेंद्र कुशवाहा का इतिहास?
जनता दल यूनाइटेड यानी जदयू को पिछले 17 साल में उपेंद्र कुशवाहा ने तीन बार छोड़ा और वापस भी आए। एक बार फिर उन्होंने जदयू छोड़ अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन कर लिया है। इनका दल बदल का इतिहास बहुत लंबा है। साल 2005 में भाजपा और जदयू ने साथ ही में बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। जिसमें उनकी जीत भी हुई लेकिन उपेंद्र कुशवाह को अपनी ही सीट से करारी हार मिली। जिसकी वजह से उन्होंने नीतीश कुमार से दूरियां बनानी शुरू कर दीं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इतने नाराज हुए कि कुशवाहा ने अपनी एक अलग पार्टी बना ली। जिसका नाम राष्ट्रीय समता पार्टी रखा। लेकिन नई पार्टी बनाने से उन्हें कुछ खास लाभ नहीं मिला।
जब भाजपा से जुडे़ कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा एक बार फिर बदलाव के मूड में आए। साल 2010 में नीतीश कुमार के न्योते पर कुशवाहा ने जनता दल यूनाइटेट ज्वाइन कर ली। लेकिन ये सिलसिला ज्यादा दिन तक नहीं चला और कुशवाहा ने एक बार फिर पलटी मारते हुए साल 2013 में नई पार्टी बनाने का एलान कर दिया। इस बार उन्होंने अपनी पार्टी का नाम लोक समता पार्टी रखा। साल 2014 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए कुशवाहा ने भाजपा से गठबंधन कर लिया। इसे तीन सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से सहमति बनी। आलम यह रहा कि मोदी लहर में तीनों की तीनों सीट कुशवाहा की पार्टी ने जीत लीं। जिसके बाद केंद्र में उन्हें मानव ससांधन राज्य मंत्री बनाया गया।
राजद छोड़ फिर थामा जदयू का हाथ
साल 2018 में भाजपा से उपेंद्र कुशवाहा का मोह भंग हो गया। इस बार नाता तोड़ने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल का रूख किया। जबकि साल 2019 के आम चुनाव में उन्हें एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। जिसके बाद वह राजनीति में पिछड़ते चले गए। लेकिन एक बार फिर राजद छोड़ नीतीश कुमार के पास गए और अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर दिया। जिसके बाद वह अब तक जदयू में ही थे।
क्यों छोड़ा कुशवाहा ने जदयू?
दरअसल, इस बार उपेंद्र कुशवाहा का जदयू छोड़ने की मुख्य वजह डिप्टी सीएम पद है। भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद कुशवाहा को उम्मीद थी कि उन्हें सीएम नीतीश उपमुख्यमंत्री पद के लिए चुनेंगे। लेकिन नीतीश ने साफ कर दिया था कि प्रदेश में एक ही डिप्टी सीएम होगा। जिसके बाद से ही दोनों नेताओं में खटपट की खबरें आने लगी थीं।
यहां से शुरू हुई खुलकर जुबानी जंग
पिछले महीने उपेंद्र कुशवाहा का स्वास्थ्य बिगड़ा था। जिसका उपचार दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में हुआ। जहां पर बिहार बीजेपी के दो पूर्व विधायक मिलने पहुंचे थे। तभी बिहार के सियासी गिलियारों में यह चर्चाएं होने लगी थीं कि वो भाजपा में शामिल होने का प्लान कर रहे हैं। लेकिन इन अटकलों को बढ़ता देख उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए इन तमाम अफवाहों पर विराम लगा दिया था। कुशवाहा ने कहा था कि भाजपा के नेताओं से बात कर लेने से मैं उनकी पार्टी में थोड़े ही शामिल हो जाऊंगा। किसी के अपने निजी संबंध भी होते हैं।
सीएम नीतीश बनाम कुशवाहा
उपेंद्र के इस बयान पर नीतीश कुमार की भी प्रतिक्रिया आई। उन्होंने कहा था कि कुशवाहा जहां जाना चाहे वहां जाए उन्हें कोई नहीं रोकेगा। सीएम नीतीश के इस बयान के बाद उपेंद्र काफी आग बबूला हुए थे। उन्होंने कहा था कि सीएम बाबू हम अपना जदयू से हक लिए बिना कहीं नहीं जाएंगे, जैसे कोई बड़ा भाई छोटे भाई को अपने जमीन ज्यादाद से बेदखल करता है वैसे ही आप मुझे कर रहे हैं लेकिन मैं अपना हिस्सा लिए कहीं नहीं जाने वाला मैं यहीं रहूंगा।
बात नहीं सुनते थे सीएम नीतीश
इस पूरी घटना के बाद दोनों नेताओं में टीका टिप्पणी चलती रही। हाल ही में उपेंद्र ने पार्टी के तमाम नेताओं को पटना में बुलाया था। जहां पर सीएम नीतीश कुमार पर जदयू को राजद से विलय करने की बात कही थी। कुशवाहा ने कहा था कि, सीएम नीतीश कुमार जनता दल को राजद में मिलना चाहते हैं। जो कार्यकर्ता होने नहीं देंगे। सीएम पर न जाने कौन सा भूत सवार हो चुका है कि वो पार्टी नेताओं की बात नहीं सुन रहे हैं।
क्या करेंगे उपेंद्र कुशवाहा?
हालांकि, इन तमाम घटनाक्रमों के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी राहें अलग कर ली हैं। लेकिन देखना होगा कि हर बार की तरह इस बार भी वह अपनी पार्टी को बिहार की राजनीति में खड़ा कर पाते हैं या किसी अन्य दल की मदद लेते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, ऐसा संभव है कि एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा भाजपा का रूख करें, क्योंकि पार्टी को नए सिरे से मजबूत करना है, साथ ही बिहार की सियासत में अपने आप को भी तो साबित करना पड़ेगा।