विधानसभा चुनाव-2023 में बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकती हैं उमा भारती? बगावती तेवर से सियासी अटकलें तेज

मध्यप्रदेश बीजेपी में कलह! विधानसभा चुनाव-2023 में बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकती हैं उमा भारती? बगावती तेवर से सियासी अटकलें तेज

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-30 14:11 GMT
विधानसभा चुनाव-2023 में बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकती हैं उमा भारती? बगावती तेवर से सियासी अटकलें तेज

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदूवादी नेता व मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती इन दिनों भारतीय जनता पार्टी से बिफरी हुई नजर आ रही हैं। उमा भारतीय अपने ही सरकार के नीतियों पर सवाल उठाती हुई दिखाई देती रहती हैं। इन दिनों भारती लोधी समुदाय को साधने में लगी हैं। जिनके बीच जाकर खुद की पार्टी को वोट न देने के लिए आह्वान कर चुकी हैं। सवाल उठने पर उमा ने ट्वीट कर के ये भी दोहरा चुकी हैं कि हां मैने ऐसा ही कहा था। सवाल उठता है कि कभी बीजेपी की फायरब्रांड रही नेता अपने ही पार्टी पर क्यों आक्रामक दिखाई दे रही हैं।

केंद्रीय नेतृत्व ने किया नजरअंदाज

अपने हिंदूवादी छवि से मशहूर उमा भारती साल 2003 में एक मजबूत नेता के तौर पर बनकर उभरी थीं। उस समय के तत्कालीन मध्यप्रदेश के सीएम रहे दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। जिसके बाद से उमा ने प्रदेश में अपनी अलग पहचान बनाई। दिग्विजय के खिलाफ हल्ला बोलने के बाद उमा भारती ने उन्हें सत्ता से बेदखल करके ही दम लिया था। जिसके बाद प्रदेश की कमान अपने हाथों में ली और वो बीजेपी से मध्यप्रदेश की सीएम बनीं।

गौरतलब है कि वो ज्यादा दिनों तक सत्ता मे नहीं रह पाई थी और उनके हाथों से सत्ता की चाबी लेकर हाईकमान ने शिवराज सिंह चौहान को दे दी थी। जिसके बाद से ही उमा बीजेपी से अंदर ही अंदर खफा रहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारती को केंद्रीय नेतृत्व ने भी ज्यादा तवज्जों नहीं दिया है। जिसके बाद से ही वो बीजेपी से उखड़ी हुई नजर आती रहती हैं।

उमा की नजर लोधी समुदाय पर

पार्टी से रिश्ते तब बिगड़े जब उमा भारती ने एक शराब के दुकान पर जाकर खूब हंगामा किया था। इसके अलावा उन्होंने शराब की दुकान पर पत्थर भी मारी थीं। उमा के इस हरकत पर सीएम शिवराज सिंह चौहन ने टिप्पणी की थी। जिसके बाद उमा ने कहा था कि कभी मुख्यमंत्री के साथ मेरे अच्छे सबंध थे। खबरों की माने तो इस मामले के बाद भारती से शिवराज ने सीधे तौर पर बात करना बंद कर दिया था। वहीं उमा की बीजेपी से नाराजगी तब और बढ़ गई जब उनके रिश्तेदार प्रीतम सिंह को ब्राह्मण बिरादरी को अपशब्द कहने पर पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया था। तभी से उन्होंने लोधी समुदाय के बीच जाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में अपनी पैठ जमाने के लिए उमा भारती लोधी समुदाय के लोगों से मिल भी रही हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश में 50 फीसदी आबादी ओबीसी वर्ग की है, जिनमें लोधी समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। 

बीजेपी से निष्कासित होने के बाद प्रीतम सिंह लोधी ने शिवपुरी में एक रैली निकाली थी। जिसमें हजारों लोग शामिल हुए थे। रैली में प्रदेश के गृह मंत्री व पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारे लगे थे। जिसके बाद से ही भाजपा व उमा भारती के बीच और खाई बढ़ गई है। ऐसे में लोधी समाज के बीच जाकर उमा का कहना भाजपा को वोट देने के लिए मैं नहीं कहूंगी। जिसके बाद से ही दोनों के रिश्तों में और तनाव बढ़ गई है। अब आगामी विधानसभा चुनाव में देखना होगा कि बीजेपी के साथ उमा भारती खड़ी रहती है या नहीं।


 

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