त्रिपुरा की टिपरा 16 फरवरी को अकेले चुनाव लड़ेगी, सभी दल चिंतित

राजनीति त्रिपुरा की टिपरा 16 फरवरी को अकेले चुनाव लड़ेगी, सभी दल चिंतित

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-27 18:30 GMT
त्रिपुरा की टिपरा 16 फरवरी को अकेले चुनाव लड़ेगी, सभी दल चिंतित

डिजिटल डेस्क, अगरतला। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अपनी अलग ग्रेटर टिपरालैंड राज्य की मांग को खारिज करने के बाद प्रभावशाली तिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (टीआईपीआरए यानी टिपरा) ने 16 फरवरी को होने वाले त्रिपुरा विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की, जिससे चुनाव से पहले एक नई राजनीतिक शुरुआत हुई है। त्रिपुरा में सभी पार्टियां - भाजपा, सीपीआई-एम, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस 20 महत्वपूर्ण आदिवासी आरक्षित सीटों पर बहुमत हासिल करने के लिए टीआईपीआरए के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रही थीं। टीआईपीआरए ने सीट बंटवारे के लिए भाजपा के जूनियर सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ कई बैठकें कीं।

टिपरा 2021 से आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य के रूप में त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद के उन्नयन की मांग कर रहा है। हालांकि सभी प्रमुख दल इस मांग का विरोध कर रहे हैं। राज्य और केंद्रीय भाजपा नेताओं के कहने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को टिपरा नेताओं को दिल्ली बुलाया था और मांग पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को टिपरा प्रमुख प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन के नेतृत्व वाले आदिवासी नेताओं से मिलना था। हालांकि, सफलता नहीं मिली।

टिपरा के एक नेता ने कहा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ग्रेटर टिप्रालैंड की मांग को खारिज कर दिया। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने आदिवासी क्षेत्रों और आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के उद्देश्य से वादों का चार पन्नों का मसौदा सौंपा। हमने गृह मंत्रालय के प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया। दिल्ली से अगरतला लौटने के बाद देब बर्मन ने मीडिया को बताया कि उनकी पार्टी त्रिपुरा विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 40 से 45 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

देब बर्मन ने कहा, हमने बार-बार कहा है कि जब तक हमें अपनी मांग के संवैधानिक समाधान पर भारत सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलता, तब तक हम गठबंधन नहीं करेंगे, सीटों के बंटवारे की बात तो छोड़ ही दीजिए। विभिन्न सोशल मीडिया खातों में वीडियो संदेश पोस्ट करते हुए उन्होंने ट्वीट भी किया : कोई गठबंधन नहीं - मेरा दिल सहमत नहीं है और इसलिए मैंने अपना निर्णय लिया है कि मैं नई दिल्ली की पेशकश को स्वीकार नहीं कर सकता! हम जीतें या हारें, लेकिन एक आखिरी लड़ाई करके रहेंगे। मैं अपने लोगों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता!

टिपरा के एक अन्य नेता ने पहले कहा था कि जिस तरह से गृह मंत्रालय ने दिल्ली में उनके नेताओं के साथ व्यवहार किया है, उससे वे नाखुश हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के प्रस्तावों में आम तौर पर आतंकवादी समूहों के साथ शांति वार्ता के दौरान किए गए वादों की संख्या अधिक होती है। आईपीएफटी, 2009 से टीटीएएडीसी के तहत आने वाले क्षेत्रों को एक पूर्ण राज्य बनाने की मांग कर रहा है, जबकि टिपरा 2021 से संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत ग्रेटर टिपरालैंड स्टेट देकर टीटीएएडीसी क्षेत्रों के उन्नयन की मांग कर रहा है।

 

(आईएएनएस)

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