राजीव गांधी ने आदिवासी दंपति को सौंपा था पेड़, हुआ सवा सौ फुट ऊंचा

छत्तीसगढ़ राजीव गांधी ने आदिवासी दंपति को सौंपा था पेड़, हुआ सवा सौ फुट ऊंचा

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-29 09:00 GMT
राजीव गांधी ने आदिवासी दंपति को सौंपा था पेड़, हुआ सवा सौ फुट ऊंचा

डिजिटल डेस्क, रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के आनंदपुर गांव में अब भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की यादें संजोए हुए है, क्योंकि यहां लगभग 38 साल पहले आदिवासी दंपति ने राजीव गांधी द्वारा सौंपे गए पीपल के पौधे को रोपा गया था, जो आज सवा सौ फुट से ज्यादा ऊंचा हो चुका है और इस पेड़ के जरिए राजीव गांधी की यादें जरूर हिलोरें मारती हैं।

बात जुलाई 1984 की है, जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी सोनहत ब्लॉक के ग्राम कटगोड़ी में अचानक हेलीकॉप्टर से उतरे थे। तब वे थोड़े समय के लिए पास के गांव आनंदपुर में कार से पहुंचे थे। उस दौरान सोनिया गांधी और राहुल तथा प्रियंका गांधी भी उनके साथ थे। इसी दरम्यान यहां के विशेष पिछड़ी पंडो जनजाति के रामचरण साय और उनकी पत्नी कुंती साय के पास कार रुकवाकर हालचाल जाना और दंपति को पीपल का पौधा भेंट किया था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए उपहार को इस दंपति ने अपनी संतान की तरह सहेजकर रखा और आज 38 साल बाद वही पीपल का पौधा लगभग सवा सौ फीट ऊंचे विशाल पेड़ का रूप ले चुका है। रामचरण साय और उनकी पत्नी कुंती बाई तो आज जीवित नहीं है, लेकिन वह पीपल का पेड़ पूरी तरुणाई पर है। घने पेड़ की छांव में पंछियों की कई पीढ़ियां आश्रय ले चुकी हैं, तो पेड़ गांव के विकास और वनवासियों की पर्यावरण संरक्षण पहचान का भी जीता-जागता सबूत बन खड़ा है।

दिवंगत रामचरण साय के पोते फूलसाय पंडो बताते हैं कि उनकी दादी कुंती बाई अकसर यह कहती थीं कि यह पीपल का पेड़ राजीव की याद और हमारी पुरखौती की निशानी है और इसका जतन अपने बच्चे की तरह करना। इस तरह देश के पूर्व प्रधानमंत्री ने खुद इसके जरिए गांव को हरा-भरा रखने का संदेश दिया था।

इसी गांव के 64 वर्षीय ग्राम पटेल मिल साय ने अपनी धुंधली यादों को ताजा करते हुए बताया कि लगभग 38 साल पहले, वर्ष 1984 में ग्राम कटगोड़ी के स्कूल मैदान में राजीव गांधी का हेलीकॉप्टर उतरा था। कुछ समय के लिए उन्होंने वन विभाग के रेस्ट हाउस में विश्राम किया। इसी बीच वन विभाग में कार्यरत फायर वॉचर मिल साय ने सिद्धा फल (एक तरह का औषधीय पौधे का फल) की माला बनाकर राजीव गांधी को पहनाई। इस पर उन्होंने पूछा कि क्या यह फल खाया भी जाता है?

मिल साय ने बताया कि इसे खाया नहीं जाता। आदिवासी इसका प्रयोग बुरी बलाओं से बचाने के लिए इसकी माला पहनते हैं। इस पर राजीव मुस्कुराए। अपने जेहन पर जोर देते हुए साय ने बताया कि उनके साथ उनकी पत्नी सोनिया गांधी और बच्चे राहुल व प्रियंका गांधी भी थे। आनंदपुर के ही अधेड़ ग्रामीण रामबृज ने भी इस बात की पुष्टि की। उसने बताया कि राजीव गांधी ने भनिया बाबा (रामचरण साय) को पीपल का पौधा भेंट किया था। उस समय उनकी आयु लगभग नौ-दस साल की रही होगी।

ग्राम पंचायत रजौली में आयोजित भेंट मुलाकात कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को यह पता चला कि आनंदपुर के ग्राम पटेल साय ने राजीव गांधी को सिद्धा फल की माला पहनाई थी, तो उन्होंने उत्सुकतावश मिल साय और उनकी बहन लवांगो बाई को अपने पास बुलवाकर बगल में बैठाया। दोनों से कुछ देर तक चर्चा भी की। लगभग एक पीढ़ी बीतने को है पर आंनदपुर गांव के लोग आज भी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी का पूरे परिवार के साथ गांव आना और उनको नहीं भूले हैं।

इसी गांव के रामब्रिज ने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह ही हमारे मुख्यमंत्री भी गांव गरीब किसान मजदूर की चिंता करते हैं। गोबर बेचकर आज कोई गाड़ी खरीद रहा है, कोई पत्नी के लिए गहने। कोई घर पक्का करा रहा है तो कोई बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसा खर्च कर रहा है।

 

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