मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों का सत्र शुरू किए जाने का पक्ष लिया
हरियाणा मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों का सत्र शुरू किए जाने का पक्ष लिया
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर शनिवार को ग्रामीण स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। उन्होंने विधानसभा की तर्ज पर पंचायती राज संस्थाओं का सत्र शुरू किए जाने का पक्ष लिया।
मुख्यमंत्री ने पंचों, सरपंचों, प्रखंड समिति सदस्यों एवं जिला परिषद सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के पांच साल तक विकास कार्य करें।उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र को अपना परिवार समझें और सेवा भाव से अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए क्षेत्र का विकास करें।
मुख्यमंत्री ने पंचायत को गांव की सरकार बताते हुए कहा कि विधानसभा और लोकसभा के सत्र की तर्ज पर जिला परिषद और पंचायत समिति का एक या दो दिन का सत्र बुलाया जाना चाहिए, ताकि जनता के मुद्दे उठाए जा सकें और विकास हो सके।शपथ ग्रहण समारोह राज्यभर के हर जिले, ब्लॉक और गांव में आयोजित किया गया, जिसमें 6,200 सरपंचों, 60,133 पंचों, 3,081 ब्लॉक समिति सदस्यों और 411 जिला परिषद सदस्यों ने शपथ ली।
मुख्यमंत्री इस समारोह में वर्चुअल तौर पर शामिल हुए और प्रतिनिधियों को संबोधित किया, जिसके बाद इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।खट्टर ने कहा कि यह पहली बार है कि पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित जनप्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से शपथ ले रहे हैं।
पंच, सरपंच, ब्लॉक समिति और जिला परिषद सदस्यों के लिए 71,696 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। इसके लिए 1,60,192 ने नामांकन दाखिल किया, 2,600 ने नामांकन रद्द किया और 31,900 ने अपना नामांकन वापस ले लिया।कुल 40,500 प्रतिनिधियों को सर्वसम्मति से चुना गया, जो लगभग 60 प्रतिशत है, जबकि 29,474 सीटों के लिए 85,127 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सर्वसम्मति से चुनी गई पंचायतों को 11 लाख रुपये, सरपंच को 5 लाख रुपये, पंच को 50 हजार रुपये और ब्लॉक समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य को सर्वसम्मति से चुने गए प्रत्येक को 2 लाख रुपये दे रही है।
इस तरह ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए सरकार 300 करोड़ रुपये दे रही है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा सरकार ग्रामीण विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।उन्होंने कहा, केंद्र और राज्य सरकार का काम निर्वाचित पंचायतों के माध्यम से ही गांवों तक पहुंचता है।
राज्य सरकार ने 2015 में पंचायती राज अधिनियम में संशोधन कर शिक्षित पंचायत बनाने का निर्णय लिया था और इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानूनी मान्यता दी और अन्य राज्यों को भी इस रास्ते पर चलने की सलाह दी।
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