15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनों को पटरी पर उतारने का लक्ष्य
नई दिल्ली 15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेनों को पटरी पर उतारने का लक्ष्य
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वंदे भारत ट्रेन का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में हो रहा है। कुछ हफ्ते पहले यहां रेल मंत्री ने इस फैक्ट्री और यहां बन रही ट्रेनों की जांच की। इस जांच से संतुष्ट होने के बाद उन्होंने इसे आरडीएसओ को सौंप दिया जो इसकी कई तरीके से जांच करेगा। वंदे भारत को अच्छे ट्रैक से लेकर खराब ट्रैक पर चलाया जाएगा और पूरी तरह से संतुष्ट होने पर ही इसको सेफ्टी क्लीयरेंस मिलेगा।
दरअसल भारतीय रेलवे अगले साल 15 अगस्त तक 75 नई वंदे भारत ट्रेन को पटरी पर उतारना चाहता है। इसलिए इन ट्रेनों के निर्माण में काफी तेजी दिखाई जा रही है और रेलवे का टारगेट है कि हर महीने 7 से 8 ट्रेनें बनकर तैयार हो जाए। लेकिन अभी तक की ताजा स्थिति को देखते हुए यह सपना धरातल पर आता दिखाई नहीं दे रहा है।
आईएएनएस ने इस मामले को लेकर रेलवे के अधिकारियों से बात की और अपने सवालों को चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में भेजा भी था। लेकिन लंबे इंतजार के बाद वहां से कोई भी जवाब अभी तक नहीं मिला है। जिससे साफ जाहिर है कि लगातार हो रही देरी पर फैक्ट्री से लेकर मंत्रालय तक कोई भी बोलने को तैयार नहीं।
भारतीय रेलवे के अनुसार हर नई वंदे भारत ट्रेन में कुछ ना कुछ नई तकनीक और अपग्रेडेशन किया जा रहा है जिसके चलते धीरे-धीरे वंदे भारत की कॉस्टिंग भी बढ़ती जा रही है। अगर कहा जाए तो 16 डिब्बे वाली वंदे भारत ट्रेन के निर्माण की लागत लगभग 110 करोड रुपए से 120 करोड़ रुपए पहुंच चुकी है जबकि यह शुरूआत 106 करोड़ की लागत से हुई थी। आईसीएफ हर महीने लगभग 10 ट्रेनों के निर्माण की योजना बना रहा है। रायबरेली में एफ कपूरथला और मॉडर्न कोच फैक्ट्री में भी अगले 3 साल में 400 वंदे भारत ट्रेनों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए इन कोचों का निर्माण शुरू कर देगी।
मेक इन इंडिया की तर्ज पर वंदे भारत को बनाने का एक बड़ा फैसला जरूर लिया गया लेकिन करोड़ों रुपए के निवेश के बावजूद भी अभी वंदे भारत वह गति नहीं पकड़ पा रही है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। इसके पीछे एक सबसे बड़ी वजह यह भी माना जा रहा है कि कई बार टेंडर प्रक्रिया रुकी रही। कई बार बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों को टेंडर दिया गया लेकिन वह समय पर पूरा नहीं हो पाया। गड़बड़ियां कहां-कहां हुई, फैसला लेने में किसकी भूमिका अहम थी, इन सब मामलों पर भी फिलहाल मंत्रालय चुप्पी साधे हुए है।
(आईएएनएस)
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