उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी अपनाएगी मैनपुरी का कोर कमेटी मॉडल, बूथ स्तर पर बिरादरी नेता की तैयारी
चुनावी रणनीति उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी अपनाएगी मैनपुरी का कोर कमेटी मॉडल, बूथ स्तर पर बिरादरी नेता की तैयारी
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी हर लोकसभा सीट पर मैनपुरी मॉडल अपनाएगी। सपा अपने मैनपुरी मॉडल में क्षेत्रवार 10-10 युवाओं की कोर कमेटी बनेगी, जो सीधे तौर पर प्रदेश मुख्यालय और प्रत्याशी को रिपोर्ट करेगी। कमेटी में शामिल युवा बूथ लेवल की खुफिया रिपोर्ट तैयार करेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आगे की नई रणनीति को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने युवा फ्रंटल संगठनों के साथ बैठक भी की है। आपको बता दें समाजवादी पार्टी का रालोद, अपना दल (कमेरावादी) और जनवादी पार्टी से गठबंधन है। और सपा ने गठबंधन के साथ सभी 80 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में कुछ सीटों पर साइकिल निशान पर ही दूसरे दल के नेता सियासी मैदान में उतर सकते हैं।
युवा फ्रंटल संगठनों के साथ पूर्व सीएम अखिलेश यादव की बैठक में बूथ स्तर के आंकड़े पेश किए गए और मीटिंग में मैनपुरी मॉडल को धरातल पर उतारने का फैसला लिया गया।
कोर कमेटी में कौन होगा शामिल
मिली जानकारी के मुताबिक कोर कमेटी में हर फ्रंटल संगठन के दो से तीन पदाधिकारी शामिल होंगे, और कोर कमेटी में शामिल सदस्य फ्री होकर पार्टी के लिए खुफिया तौर पर कार्य करेंगे। कोर कमेटी में उस पदाधिकारी को शामिल किया जाएगा जिसे लोकसभा क्षेत्र की भौगोलिक, जातीय समीकरण और नेताओं से पकड़ हो। ये कमेटी बूथ कमेटी से जुड़ेगी। बूथ कमेटी में भी फ्रंटल संगठन के पदाधिकारी रहेंगे। खास बात यह है कि इस कमेटी का पार्टी संगठन की ओर से बनने वाली बूथ कमेटी से कोई जुड़ाव नहीं होगा। वह अपने स्तर पर कार्य करेगी।
क्या है मैनपुरी मॉडल
मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव के समय समाजवादी पार्टी ने युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड और छात्र सभा के पदाधिकारियों की कोर कमेटी बनाई थी। जिसमें बूथवार टीमें जोड़ी गईं। इस टीम को चुनावी प्रचार से दूर रखा था। टीम के सदस्य आम लोगों की तरह गांव-गांव जाकर लोगों की नाराजगी की वजह जानी और उसकी खुफिया रिपोर्ट तैयार की। क्षेत्रवार जैसी शिकायतें मिलीं, उसका तत्काल समाधान निकाला गया। बूथ स्तर पर प्रचलित बिरादरी नेता को तैयार किया गया। और संबंधित नेता को वोटरों के बीच भेजा गया। ऐसे में जिन बूथों पर पहले कम वोट मिलने की आशंका थी, वहां पार्टी को अपेक्षा से अधिक वोट मिले। अब इसी प्रयोग को सपा लोकसभा चुनाव में अपनाने की तैयारी में है।