गहलोत-पायलट सत्ता संघर्ष के बीच नौकरशाही-राजनेताओं में दरार चर्चा का विषय
राजस्थान सियासत गहलोत-पायलट सत्ता संघर्ष के बीच नौकरशाही-राजनेताओं में दरार चर्चा का विषय
डिजिटल डेस्क, जयपुर। ऐसे समय में जब गहलोत-पायलट सत्ता की लड़ाई राष्ट्रीय राजनीति में जोर पकड़ रही है और भाजपा में भी गुटबाजी की घटनाएं सामने आ रही हैं, रेगिस्तानी राज्य में नौकरशाही-राजनीतिक दरार भी खबरें बना रही हैं।
इस मामले में नेता बार-बार वरिष्ठ अधिकारियों का अपमान करते नजर आए। राज्य की नौकरशाही को इसे करो या मरो की स्थिति के रूप में लेना पड़ा और राजनेताओं के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा। आईएएस एसोसिएशन के सचिव समित शर्मा ने पत्र लिखा और सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया, जिन्होंने एक बार आईएएस को सुशासन का स्टील फ्रेम कहा था।
उन्होंने कहा, पटेल ने 21 अप्रैल, 1947 को दिल्ली के मेटकाफ हाउस में आईएएस अधिकारियों के पहले बैच को संबोधित करते हुए सिविल सेवाओं को देश में सुशासन का स्टील फ्रेम कहा था, जिससे भारत के लोगों के कल्याण के लिए सरकार की ओर से नीतियां बनाने और निष्पादित करने की उम्मीद है। पिछले कुछ समय से महान विचारों और सिद्धांतों पर तीखे हमले हो रहे हैं। लक्ष्मण रेखा को बार-बार पार किया जा रहा है। वर्तमान स्थिति सर्वकालिक निम्न प्रतीत होती है।
शर्मा ने इसे करो या मरो की स्थिति करार दिया और कहा, यह इंतजार करने और देखने का समय नहीं है, यह लगभग करो या मरो की स्थिति है। यदि हम अपने मन से डर को बाहर नहीं निकालते हैं, तो हम अपने बाकी के करियर में भी बार-बार इस तरह के अपमान को स्वीकार करना पसंद कर रहे हैं। मैं दोहराता हूं, हमारी गरिमा, स्वाभिमान और सार्वजनिक छवि से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, जिले में मंत्री ने कलेक्टर के पद का अपमान किया गया है। अप्रत्यक्ष रूप से यह निष्पक्ष नौकरशाही के पूरे विचार के लिए एक चुनौती है और मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्य सचिव उषा शर्मा को ज्ञापन सौंपा। राजस्थान के मंत्री रमेश मीणा ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सार्वजनिक रूप से बीकानेर जिला कलेक्टर को फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय अपने फोन में व्यस्त रहते हैं।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री मीना कार्यक्रम में महिलाओं को संबोधित कर रहे थे, तभी जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल के मोबाइल पर फोन आया। मीना ने इस पर आपत्ति जताई और पूछा कि अधिकारी उनकी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर से पूछा- तुम क्यों नहीं सुन रहे हो? क्या राज्य में नौकरशाहों का इतना दबदबा है कि वह सुन ही नहीं रहे हैं?
कलेक्टर साहब बिना कुछ बोले सोफे से खड़े उठ गए। उसी समय मंत्री ने कहा, आप यहां से जा सकते हैं। हालांकि, कुछ देर बाद अधिकारी कार्यक्रम में लौट आए। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया। बाद में, राजस्थान आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव उषा शर्मा से मुलाकात की और मंत्री के आचरण के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा और ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करने की बात कहते हुए उचित कार्रवाई की मांग की।
समित शर्मा ने सीएस को दिए पत्र में बीकानेर की घटना को अपमानजनक बताया। उन्होंने कहा कि इसी मंत्री ने कुछ समय पहले अलवर कलेक्टर के बारे में अशोभनीय टिप्पणी की थी। सूत्रों ने कहा कि उषा शर्मा ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करेंगी।
इससे पहले राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव की कार्यशैली को लेकर नाराजगी जताई थी और कहा था कि वह अपने पद से हटना चाहते हैं। उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि मुझे इस अपमानजनक मंत्री पद से मुक्त किया जाए और मेरे विभागों का प्रभार (मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव) श्री कुलदीप रांका को दिया जाए, क्योंकि वह वैसे भी सभी विभागों के मंत्री हैं।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी राजस्थान के जोधपुर जिले के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को फटकार लगाई थी, जब उनका एक वीडियो कांग्रेस के पूर्व सांसद की तारीफ करते हुए वायरल हुआ था। राजस्थान में नौकरशाही-राजनेताओं की दरार साल के अंत में चर्चा का एक और विषय है क्योंकि कई आईएएस अधिकारी राज्य छोड़कर प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, यह अजीब स्थिति है, ऐसा लगता है कि सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम के बीच गतिरोध के बीच सब कुछ ठप है। हम भी वेट एंड वॉच का रवैया अपना रहे हैं और स्पष्टता होने के बाद ही परियोजनाओं पर कोई पहल करेंगे। तब तक प्रतिनियुक्ति के लिए हमारे विकल्प मौजूद हैं।
(आईएएनएस)
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