भारतीय समाज की धार्मिक निष्ठा सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए है - मीनाक्षी लेखी

नई दिल्ली भारतीय समाज की धार्मिक निष्ठा सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए है - मीनाक्षी लेखी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-16 17:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि भारतीय समाज व उसकी धार्मिक निष्ठा सिर्फ स्वयं के लिए नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए है।

भारत की साझा विरासत व उनकी चुनौतियां विषय पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मीनाक्षी लेखी ने कहा कि बात चाहे सेवा की हो या संस्कारों की, धार्मिक निष्ठा की हो या उस के प्रति बलिदानी भाव की, सम्पूर्ण विश्व को पता है कि भारतीय समाज व उसकी धार्मिक निष्ठा सिर्फ स्वयं के लिए नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि वसुधैव कुटुंबकम का संदेश मां भारती की पुण्य धरा से ही जाता है।

वहीं बलिदानी गुरुओं की सांझी विरासत को आंच नहीं आने देने का दावा करते हुए विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने कहा कि हिन्दू सिख एकता, महान सिख गुरुओं के प्रति सम्पूर्ण समाज की श्रद्धा, गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान तथा गुरु गोविंद सिंह जी महाराज द्वारा देश-धर्म की स्वाधीनता हेतु किए गए संघर्ष के आधार पर बनी है। इस साझा विरासत को हम किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देंगे। आलोक कुमार ने यह भी कहा कि धर्म हमें जोड़ना सिखाता है न कि तोड़ना। भारत में जन्में प्रत्येक मत-पंथ-संप्रदायों की उपासना पद्धति चाहे भिन्न हो किंतु, उनका मूल तत्व एक ही है जो हम सबको एक अटूट बंधन से बांधे रखता है।

वहीं भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि जब तक शमशान व गुरुद्वारे जाति-बिरादरी के आधार पर बंटे रहेंगे, महा गुरुओं के समता मूलक समाज के निर्माण का उद्देश्य सफल नहीं होगा। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पंचायती निर्मल अखाड़ा, हरिद्वार के महंत संत ज्ञानदेव सिंह ने कहा कि अपनी तीन पीढ़ियों को राष्ट्र धर्म संस्कृति व समाज की रक्षा हेतु बलिदान करने वाले महान गुरुओं की शिक्षाओं को जन-जन तक लेकर जाना हम सभी की जिम्मेदारी है।

तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, सरहाली वाले बाबा हकम सिंह, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सरदार मंजीत सिंह राय और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के सदस्य डॉ सुरजीत कौर जौली ने भी अपनी-अपनी बातें कहीं।

 

 (आईएएनएस)

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