दो बार बना बिगड़ा पीके और कांग्रेस का रिश्ता, 2024 में फिर साथ आने की संभावना, ये है बड़ी वजह!
पीके और कांग्रेस दो बार बना बिगड़ा पीके और कांग्रेस का रिश्ता, 2024 में फिर साथ आने की संभावना, ये है बड़ी वजह!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।। कांग्रेस और प्रशांत किशोर को बीच चल रही तमाम अटकलों के बाद भी आलाकमान सोनिया गांधी ने पुरजोर कोशिश की कि इस बार प्रशांत किशोर जैसा चुनावी रणनीतिकार उनकी पार्टी का हिस्सा बन ही जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया इसके पीछे की वजह खुद कांग्रेस है क्योंकि कांग्रेस भी ऐसा ऑफर ही नहीं दे पाई जो पीके को रास आता। दूसरी तरफ पीके की भी राजनीतिक महत्वकांक्षा हर बार कांग्रेस के दरवाजे के आगे दम तोड़ देती है। इसमें कोई दो राय नहीं जितनी कांग्रेस को पीके की जरूरत है उतनी ही पीके को भी कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी की जरूरत है। फिर भी दोनों के बीच बात नहीं बन सकी।
कांग्रेस और पीके यानि कि प्रशांत किशोर के बीच बात नहीं बन सकी। बैठकों के दौर पर दौर चले। मामला सर्वे से लेकर प्रजेंटेशन तक पहुंचा। लेकिन ज्वाइनिंग तक पहुंचने से पहले ही अटक गया । पीके के खिलाफ कई नेताओं ने तो दबी आवाज में भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। जो वो चाहते थे वो बिना किसी मेहनत के अपनेआप ही हो गया। असहमती जताने से पहले बातचीत सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर के स्तर पर ही खत्म हो गई। और पीके की कांग्रेस में एंट्री नहीं हो पाई।
बता दें कांग्रेस में शामिल होने की खबरों से पहले प्रशांत किशोर कई पेज लंबा प्रेजेंटेशन भी दे चुके थे। पार्टी को किस राज्य में, किस तरह काम करना है इसका एक खाका तो वो पार्टी को दे ही चुके थे । लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया और बताया कि प्रशांत किशोर से पार्टी ने एम्पावर्ड एक्शन ग्रुप 2024 से जुड़ने की पेशकश की गई थी। लेकिन पीके ने उसे ठुकरा दिया। वहीं पीके ने अपने ट्विटर पर लिखा था कि पार्टी को मुझसे ज्यादा एक अच्छी लीडरशिप और ऐसी इच्छाशक्ति की जरूरत है जो पार्टी की समस्या को दूर कर सके।
कांग्रेस से मेल मुलाकात और पार्टी में शामिल होने की बात को खारिज करने के बाद अब पीके अपनी कंपनी आईपैक के जरिए टीआरएस का काम संभालने की तैयारी में है। उनकी कंपनी ने इसके लिए टीआरएस के साथ करार भी कर लिया है। बता दें फिलहाल दो राज्यों के चुनाव है। उसके बाद अगले साल सत्ता का सेमीफाइनल होगा। माना जा रहा है 2023 में पांच राज्यों के चुनाव में जिस दल ने ज्यादा राज्यों में जीत हासिल की वो 2024 के लोकसभा चुनाव में आसानी से जीत हासिल कर सकता है। आपसी मतभेदों से जूझ रही कांग्रेस को इस बीच 2024 में फिर पीके की याद आ जाए या पीके कांग्रेस को मना लें तो इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं होगी, क्योंकि कांग्रेस को पीके की जरूरत है वहीं पीके को भी एक राष्ट्रीय पार्टी की आवश्यकता है जानकारों का मानना है कि पीके की बीजेपी में दोबारा बात बन पाना नामुमकिन है। ऐसे में कांग्रेस में ही पीके को बेहतर विकल्प नजर दिखाई दे रहा है। माना जा रहा है कि 2024 में दोबारा ये रिश्ता फिर नए सिरे से शुरू हो सकता है।