मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले पीके, सियासी मुलाकात के कई मायने
रोजगार की शर्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले पीके, सियासी मुलाकात के कई मायने
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मुलाकात के राजनीति गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। पीके और बिहार सीएम की दो दिन पहले ही मुलाकात हुई थी। पीके ने खुद एक चैनल को दिए इंटरव्यू में इसकी बात की पुष्टि की। हालांकि चुनावी रणनीतिकार ने इस मुलाकात को औपचारिक मुलाकात बताया।
अपने जनस्वराज से पीछे नहीं हटूंगा : pk
इससे पहले पीके ने एक ट्वीट के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि नीतीश कुमार का सरकार बनाने का पिछले 10 सालों में ये 6वां एक्सपेरिमेंट है। क्या इससे बिहार और बिहार के लोगों का कुछ भला होगा? भला तो सिर्फ नीतीश कुमार का होगा, क्योंकि नीतीश कुमार और उनकी सीएम की कुर्सी है। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए हैं। एक जवाब में पीके ने आगे कहा कि मैं अपने जनस्वराज से पीछे नहीं हटूंगा। 1 अक्टूबर से मेरी बिहार यात्रा शुरू होगी।
पीके को एबीसी का ज्ञान नहीं : सीएम
पीके की नीतीश कुमार से सीएम आवास पर मुलाकात ऐसे समय पर हुई जब कुछ दिने पहले ही सीएम नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली के दौरान पीके को लेकर कहा था कि प्रशांत किशोर को एबीसी का भी ज्ञान नहीं है।
रणनीतिकार का विकासीय मुद्दा
कुछ महीनों से बिहार की गलियों में घूम रहे पीके ने कहा कि मैंने बिहार में विकास के जिन मुद्दों को देखा है। विकास के वे ही मुद्दे बिहार में काम करेंगे। पीके ने मुलाकात के दौरान इन्हीं विकासीय मुद्दों की चर्चा सीएम नीतीश कुमार से करने की बात कही।
राजनीति में जॉब्स की शर्त
जेडीयू गठबंधन के साथ जाने को लेकर पीके ने एक शर्त जोड़ दी। अपनी शर्त में पीके ने कहा मैं नीतीश कुमार के साथ तभी जा सकता हूं, जब नीतीश एक साल में दस लाख जॉब्स देने का वादा करें। तभी गठबंधन को लेकर चर्चा आगे बढ़ेगी।