संसदीय स्थायी समिति ने मनरेगा के लिए कम धन आवंटन पर चिंता जताई

दिल्ली संसदीय स्थायी समिति ने मनरेगा के लिए कम धन आवंटन पर चिंता जताई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-03-15 18:30 GMT
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ग्रामीण विकास मामले की संसदीय स्थायी समिति ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के बजट अनुमानों को 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 के लिए 29,400 करोड़ रुपये कम किए जाने पर चिंता जताई है।

समिति की 29वीं रिपोर्ट में कहा गया है, .. यह ध्यान देने योग्य है कि 2022-23 के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 के लिए मनरेगा के बजट अनुमानों में 29,400 करोड़ रुपये की कमी की गई है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को संचालित करने वाला अधिनियम काम का अधिकार प्रदान करता है। अनुदान की मांग (2023-24) ग्रामीण आबादी के ऐसे वंचित वर्गो के लिए है जो काम करने के इच्छुक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह योजना बेरोजगार वर्ग के लिए सहायता का एक अंतिम उपाय है, जिनके पास उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को खिलाने के लिए कोई अन्य साधन नहीं है।

मनरेगा की भूमिका और महत्व कोरोना महामारी के दौरान तब दिखाई दिया, जब इसने संकट के समय में जरूरतमंदों के लिए आशा की किरण के रूप में काम किया। योजना के महत्व को 2020-21 और 2021-22 में आरई चरण में 61,500 करोड़ रुपये से 1,11,500 करोड़ रुपये और 73,000 करोड़ रुपये से 99,117.53 करोड़ रुपये तक की भारी वृद्धि के माध्यम से उजागर किया गया, क्रमश: पूरा करने के लिए कोविड महामारी के दौरान काम की मांग में वृद्धि।

चालू वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान भी मनरेगा के लिए बजट अनुमान स्तर पर 73,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर संशोधित अनुमान स्तर पर 89,400 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, वित्तवर्ष 2023-24 के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा 98,000 करोड़ रुपये की प्रस्तावित मांग के मुकाबले शुरुआती चरण में ही मनरेगा को 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, समिति मनरेगा के तहत धन के कम आवंटन के औचित्य को समझने में असमर्थ है। रिपोर्ट में कहा गया है, चूंकि यह बहुत आवश्यक है कि योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन किया जाना चाहिए, समिति दृढ़ता से महसूस करती है कि घटे हुए फंड आवंटन के मामले को नए सिरे से देखा जाना चाहिए।

कमिटी ने पुरजोर सिफारिश की कि ग्रामीण विकास विभाग जमीनी स्तर पर मनरेगा के तहत नौकरियों की अभी भी मौजूद उच्च मांग से खुद को अवगत कराए और अपने संचार और प्रशासनिक कौशल का उपयोग करके मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय पर दबाव बनाए।

 

आईएएनएस

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