आय से अधिक और बेनामी संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन को लोकपाल का नोटिस, 25 अगस्त को होगी सुनवाई

झारखंड राजनीति आय से अधिक और बेनामी संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन को लोकपाल का नोटिस, 25 अगस्त को होगी सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-10 12:00 GMT
आय से अधिक और बेनामी संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन को लोकपाल का नोटिस, 25 अगस्त को होगी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, रांची। भारत के लोकपाल ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन को आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर नोटिस जारी किया है। उन्हें आगामी 25 अगस्त को उपस्थित होकर इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा गया है। न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी (न्यायिक सदस्य) और सदस्यों महेंद्र सिंह और इंद्रजीत पी. गौतम की पीठ ने बीते 4 अगस्त को यह आदेश पारित किया है।   लोकपाल के समक्ष शिबू सोरेन और उनके परिजनों के नाम पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत दो वर्ष पूर्व 5 अगस्त 2020 को ही दायर की गयी थी। इसमें कहा गया था कि सोरेन और उनके परिजनों ने झारखंड के सरकारी खजाने का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार से अर्जित राशि से अनेक संपत्तियां बनायी हैं। इनमें कई बेनामी आवासीय और कमर्शियल परिसंपत्तियां भी हैं।

इस शिकायत पर सुनवाई करते हुए लोकपाल की फुल बेंच ने 15 सितंबर, 2020 को सीबीआई को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले में पीई (प्रीलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज कर छह महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। सीबीआई ने मामले की जांच के बाद मार्च 2021 और उसके बाद 1 जुलाई 2021 को सोरेन परिवार की संपत्ति का पूरा ब्यौरा और उनके आयकर रिटर्न पर लोकपाल को रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर लोकपाल ने शिबू सोरेन और परिवार के सदस्यों को नोटिस भेजकर उनका पक्ष मांगा था।

इसके बाद सोरेन परिवार के सदस्यों से मिले जवाब के आलोक में सीबीआई ने अंतिम पीई रिपोर्ट बीते 29 जून को लोकपाल के यहां दाखिल की। इसमें सीबीआई की ओर से कहा गया है कि सोरेन और परिवार के सदस्यों ने आय के ज्ञात और घोषित स्रोत से ज्यादा कई बेनामी संपत्तियां बनाई है। लोकपाल ने अपने ताजा आदेश में कहा है कि सीबीआई की विस्तृत रिपोर्ट के अवलोकन के आधार पर यह पाया गया है कि इस मामले में धारा 20(3) के अंतर्गत प्रोसिडिंग शुरू की जानी चाहिए। इसी सिलसिले में सोरेन को आगामी 25 अगस्त को स्वयं या अपने अधिकृत प्रतिनिधि या अधिवक्ता के जरिए उपस्थित होकर पक्ष रखने को कहा गया है।

(आईएएनएस)

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